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एनआईटीटीटीआर भोपाल में शोध सम्मेलन का समापन

इतिहास का स्मरण, भविष्य का संकल्प - श्रीमती कृष्णा गौर

सेवा को साधना बनाने वाली शासिका थीं अहिल्याबाई - श्रीमती कृष्णा गौर

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में अखिल भारतीय शोध सम्मेलन का समापन हुआ। इस शोध सम्मेलन का विषय लोकमाता अहिल्याबाईः राष्ट्र पुनरुत्थान की संकल्पना था जिसके अंतर्गत 05 विषयों पर 120 शोध पत्रों की देश भर से आए विद्वानों और शोधार्थियों ने प्रस्तुति दी। समापन सत्र की मुख्य अतिथि श्रीमती कृष्णा गौर राज्यमंत्री, स्वतंत्र प्रभार मध्यप्रदेश शासन थी। 

श्रीमती गौर ने लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन समर्पण को संबोधित करते हुए कहा की यह शोध सम्मेलन न केवल हमारे समृद्ध अतीत का स्मरण है, बल्कि यह एक वैचारिक नींव है, जो भविष्य की दिशा तय करने में सहायक सिद्ध होगी। लोकमाता अहिल्याबाई ने 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' के सिद्धांत पर शासन करते हुए भारतीय प्रशासनिक आदर्शों को नया स्वरूप दिया। उनके शासन में सेवा ही साधना थी, और यही भावना आज के भारत के नव निर्माण की प्रेरणा बन सकती है। यह सम्मलेन लोकमाता अहिल्याबाई का स्मरण ही नहीं एक संकल्प है। 

सत्र के मुख्य वक्ता श्री दीपक विस्पुते ने कहा कि शोधार्थी केवल वही न पढ़ें जो पाठ्यक्रम में है, बल्कि विषय के मूल में जाकर चिंतन करें, स्वतंत्र शोध करें। भारत की बौद्धिक परंपरा के साथ अतीत में जो छल हुआ है, उसे शोध और विचार के माध्यम से पुनः उजागर किया जाना चाहिए। उनके शासनकाल में मंदिरों का पुनर्निर्माण, धार्मिक स्थलों का संरक्षण, लोक-शिक्षा का विस्तार और समाज कल्याण के कार्यों को बहुत अधिक महत्व दिया गया। प्रो. सचिन तिवारी, सचिव आयोजन समिति ने शोध सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। 

प्रो. पी.के पुरोहित, समन्वयक आयोजन समिति ने आभार ज्ञापित कहा करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में उत्पन्न हुए विचार, संवाद और शोध भारत में एक शैक्षणिक पुनर्जागरण की ओर प्रेरित करेंगे। यह आयोजन न केवल लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन-दर्शन को पुनः समझने का प्रयास है, बल्कि उनके आदर्शों को वर्तमान शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ने की एक सकारात्मक पहल भी है। 

इस अवसर पर शोध पत्रों की सार पुस्तिका का विमोचन किया गया। सम्मेलन के सहयोगी संस्थानों से उनके कुलगुरु आदि सम्मानित गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती बबली चतुर्वेदी द्वारा किया गया।

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