विक्रम विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस मनाया गया
उज्जैन। ऋण के लिए प्रकृति स्वैप और वन्यजीव संरक्षण बांड जैसे वित्तीय समाधानों की आज नितांत आवश्यकता प्रतिपादित हो रही है। 2025 में अंतरराष्ट्रीय विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस का विषय "वन्यजीव संरक्षण वित्त: लोगों और धरा में निवेश" शपथ संकल्प आयोजन के दौरान, हम लोग और पृथ्वी दोनों के लिए एक सुखद भविष्य का निर्माण करने के लिए अपने वर्तमान-अपर्याप्त वित्तीय प्रवाहों को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाने के लिए सामुदायिक स्तर पर मिलकर काम कर सकते हैं। यह विचार प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान में आयोजित विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस पर शपथ ग्रहण का आयोजन व परिसंवाद सत्र में व्यक्त किए।
इस अवसर पर प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान, संकाय अध्यक्ष, प्रबंध अध्ययन मंडल और कार्यपरिषद सदस्य प्रो. डॉ. दीपक गुप्ता, अध्यक्ष प्रबंध अध्ययन मंडल, प्रो. डॉ. डी.डी. बेदिया ने अपने विचार प्रकट करते हुए यह उल्लेख किया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीआईटीईएस जैसे कार्यक्रम के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका के 14 देशों में $14 करोड़ डॉलर सिर्फ सुरक्षित इलाकों में एंट्री फी के रूप में संग्रहित हो जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व पर्यटन का 7% हिस्सा अकेले वन्यजीव पर्यटन से आता है और यह सालाना 3% की दर से बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 20 दिसंबर 2013 को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। यह दिन दुनिया के जंगली जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य संकटग्रस्त प्रजातियों के अवैध व्यापार को रोकना और उनके संरक्षण को सुनिश्चित करना था। पहला विश्व वन्यजीव दिवस 2014 में मनाया गया था।
परिसंवाद एवं एसडीजी लक्ष्यों की शपथ आयोजन के सूत्रधार प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता, निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान ने रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 15.7 के तहत वन्यजीवों को शिकार से बचाना एक हिस्सा है। केन्या के मसाई मारा कैंप किचवा तेंबो में सालाना $80 लाख के करीब कमाई होती है, जिसमें से $15 लाख सीधे स्थानीय समुदायों को लीज फी, सैलरी और स्थानीय उत्पादों की बिक्री से मिलते हैं।
अफ्रीकी देशों, विशेष रूप से पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के देश, दुनियाभर में 'बिग-5' के लिए मशहूर हैं - अफ्रीकी हाथी, केप बफलो, तेंदुआ, शेर और राइनॉसरस। विश्व वन्यजीव कोष (WWF) की ‘लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट 2024’ में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है कि 1970 से 2020 के बीच वन्यजीव आबादी में 73 प्रतिशत की विनाशकारी गिरावट दर्ज की गई थी, जिसमें स्तनधारी, पक्षी, उभयचर, सरीसृप, मछली इत्यादि जीव शामिल हैं। ताजे पानी के पारिस्थितिक तंत्र में यह गिरावट 85 प्रतिशत रही है।
वर्तमान में जैव विविधता संरक्षण में 143 अरब अमेरिकी डॉलर सालाना निवेश किया जाता है, जबकि आवश्यक अनुमानित राशि 824 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है। कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा का लक्ष्य 2030 तक 200 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष जुटाना है।
शोधार्थी अजय जायसवाल, सचिन बघेल, आमिर खान, भावना शर्मा, रीता जायसवाल, गुफराना खान ने भी अपने विचार साझा किए। वहीं, एमबीए विद्यार्थियों ने भी इस सामयिक दिवस आयोजन संकल्पना में सक्रिय भागीदारी दिखाई। इस आयोजन के अंत में श्री गोविंद तोमर ने आभार व्यक्त किया।
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