विश्व सामाजिक न्याय दिवस – 20 फरवरी
समानता और समावेशन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता
"नमस्ते", "स्माइल', "पर्पल फेस्ट" (समावेश का त्योहार) योजना
"भिक्षा वृत्ति मुक्त भारत" बनाना है
विक्रम विश्वविद्यालय में विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर द्विस्तरीय कार्य्रकम आयोजित
भारतीय सामाजिक न्याय योजनाएं अभिनंदनीय - प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान एवं इंस्टिट्यूट ऑफ कम्प्यूटर साइंस द्वारा संयुक्त रूप से "विश्व सामाजिक न्याय दिवस" पर द्विस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
द्विस्तरीय कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 26 नवंबर, 2007 को 62वें सत्र के दौरान स्थापित, विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2009 में 63वें सत्र के बाद से हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत इस समझ से हुई है कि, राष्ट्र में और उनके बीच शांति और सुरक्षा प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए सामाजिक विकास और सामाजिक न्याय अपरिहार्य हैं। यह दिन इस बात पर भी बल देता है कि शांति, सुरक्षा और सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के सम्मान के बिना सामाजिक न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रीय मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थिति की तंत्र कार्य (नमस्ते), पीएम-दक्ष योजना, आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए स्तर व्यक्तियों के लिए सहायता (एसएमआईएलई) योजना, भिक्षावृत्ति मुक्त भारत, विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग डीईपीडब्ल्यूडी द्वारा 2023 से पर्पल फेस्ट (समावेश का त्योहार) का आयोजन 2024 में, इस कार्यक्रम में 10,000 से अधिक दिव्यांगजन और उनके अनुरक्षकों का स्वागत जैसे आयोजन एवं भारतीय सामाजिक न्याय योजनाएं अभिनंदनीय है । कुलगुरु प्रो भारद्वाज ने प्रो डॉ उमेश सिंह एवं प्रो डॉ धर्मेंद्र मेहता को इस कार्यक्रम के आयोजन की संकल्पना हेतु बधाई दी।
प्रो डॉ उमेश सिंह, सू.प्रो. संकाय अध्यक्ष, प्रो डॉ कामरान सुल्तान, संकाय अध्यक्ष प्रबंध संकाय एवं विक्रम विवि कार्य परिषद सदस्य, डॉ कमल बुनकर निदेशक आईसीएस, प्रो डॉ धर्मेंद्र मेहता, निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, डॉ क्षमाशील मिश्रा, डॉ रामजी यादव ने अपने सारगर्भित वक्तव्यों में इस दिन के आयोजन से गरीबी उन्मूलन, पूर्ण रोजगार व सही काम को बढ़ावा देने, लैंगिक समानता और सभी के लिए सामाजिक कल्याण और न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों की जागरूकता प्रसार विस्तार में मजबूत करने में मदद मिलने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
प्रो डॉ उमेश सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में किर्गिज गणराज्य के स्थायी मिशन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन डीईएसए) के सहयोग से आयोजित 2025 का "विश्व सामाजिक न्याय दिवस“ एक स्थायी भविष्य के लिए न्यायोचित परिवर्तन को मजबूत करने की थीम पर विचार रखें।
आयोजन में प्रो डॉ कामरान सुल्तान ने कहा कि, इस साल का आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि दुनिया सामाजिक विकास के लिए दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रही है। कई लोग गरीबी और अनुचित व्यवहार जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं, जो उन्हें शिक्षा, रोजगार और बेहतर जीवन पाने से रोकते हैं।
सूत्रधार प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने संस्थान के शोधार्थियों, विद्यार्थियों की सहभागिता को लेकर उत्साह प्रकट किया और कहा कि, समाज को अधिक संवेदनशील बनाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 'भिक्षावृत्ति मुक्त भारत' योजना, क्षेत्र-विशिष्ट सर्वेक्षण, जागरूकता अभियान, लामबंदी और बचाव कार्यों, आश्रय गृहों और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच, कौशल प्रशिक्षण, वैकल्पिक आजीविका के विकल्प और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के गठन पर भी वास्तव में सामयिक नवाचार योजनाए है ।
इस जागरूकता प्रसंग में आइसीएस के समस्त शिक्षकों, जेएनआईबीएम के शोधार्थियों की उपस्थिति में डॉ कमल बुनकर, निदेशक आईसीएस एवं भावना शर्मा, शोधार्थी ने वैश्विक समुदाय जलवायु परिवर्तन, आर्थिक बदलावों और सामाजिक असमानताओं से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए आत्मीय आभार व्यक्त किया।
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