- मध्यप्रदेश विधानसभा की वर्ष 2024−2025 के लिए नव गठित सभा समितियों की संयुक्त बैठक सम्पन्न
- विधायिका का कार्य केवल नीतियों पर विचार विमर्श करना, विधि निर्माण करना या बजट पारित करना ही नहीं है बल्कि सरकारी कामकाज पर निरंतर निगरानी रखना तथा उसके प्रति उसकी जवाबदेही तथा उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना भी है - श्री तोमर
- समितियों का प्रभाव ज्यादातर उन पर निर्भर करता है जो समिति का संचालन कर रहें है। अत: यह व्यवस्था, योग्यता, कर्तव्यनिष्ठा सहयोग के अधिक उपाय स्वयं अनुशासन तथा शिष्टाचार की मांग करती है - विधान सभा अध्यक्ष
🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा की वर्ष 2024−2025 के लिए नव गठित सभा समितियों की संयुक्त बैठक विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंगलवार, 3 सितंबर 2024 को विधानसभा के मानसरोवर सभागार में आयोजित की कई। मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 23 समितियां है, जिसमें से 2 का गठन अभी नहीं हुआ है।
बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला, लोक लेखा समिति के सभापति श्री भंवर सिंह शेखावत, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सभापति श्री बिसाहूलाल सिंह अन्य सभी समितियों सभापति, सदस्यगण, विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री ए.पी. सिंह उपस्थित थे।
विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने बैठक में कहा कि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का राज्य में क्रियान्वयन, आयुष्मान भारत योजना का राज्य में क्रियान्वयन और नई न्याय संहिता के विषय में विधानसभा की समितियों का गठन होना चाहिए। इसके लिए नियम समिति विचार करके रूपरेखा शीघ्र प्रस्तुत करेगी।हम सभी मध्यप्रदेश की विधानसभा के सदस्य हैं और हम सभी जनता के प्रति जवाबदेह भी हैं। सदन की समितियों की गरिमा को बढ़ाना भी हम सभी का सदस्यों का दायित्व हैं।
श्री तोमर ने कहा कि, जब हम सभा की समिति के सदस्य के रूप में होते हैं तो यह ध्यान रखना है कि, हम सभी समितियों के पूरक हैं। कोई समिति बड़ी नहीं है, कोई छोटी नहीं है, सभी की अपनी-अपनी भूमिका और दायित्व है। सबकी प्रतिष्ठा और आकार−प्रकार एक तरह का है। सभी समितियों के लिए आचार संहिता तैयार की कई है।
श्री तोमर ने कहा कि, समितियां पक्ष−विपक्ष के ऊपर होती है, हमें समिति का सदस्य रहते हुए, समिति की बैठक में शामिल होते हुए कई प्रकार के लोभ का संवरण करना चाहिए तभी समितियों की उत्कृष्टता बढ़ती है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, केंद्र सरकार का पूरा बजट समितियों के विमर्श पर ही अवलंबित होता है। राज्य में बजट विधानसभा में पास होता है लेकिन लोकसभा में बजट वित्त मंत्री सदन में पेश करते हैं और उसके बाद आम सदस्यों के लिए अवकाश होता है और समिति बजट पर सुधार−संशाेधन करके लोकसभा में पारित किया जाता है।
श्री तोमर ने कहा कि, विधानसभा के सत्र में उपस्थिति और वहां विषय को उठाना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण समितियों के विषय होते हैं। इसलिए सभी समिति सदस्यों को गंभीरता से इसमें भाग लेना चाहिए। समितियों का सदुपयोग पूरे राज्य के लिए हो इस पर सभी समिति सदस्यों को अपनी भूमिका निभाना चाहिए।
श्री तोमर ने कहा कि, समितियों के पास लंबित कार्य न रहे इस पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि, समितियों की समय−समय पर बैठकें हो।
उपमुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला ने बैठक को संबोधित करते हुए आशा व्यक्त की कि, नव गठित समितियों के कार्यकाल में प्रदेश के विकास और कल्याण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे। श्री शुक्ला ने अपने उद्बोधन में विधानसभा की समितियों के गठन के तत्काल बाद संयुक्त बैठक के माध्यम से सभी समिति सभापतियों और सदस्यों को उनके दायित्व बोध कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
लोकलेखा समिति के सभापति श्री भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि, विधानसभा की समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनके प्रतिवेदनों पर प्रदेश के विकास एवं जन कल्याण के कई कार्य होते हैं।
प्रमुख सचिव श्री ए.पी सिंह ने समितियों के कार्यों से संबंधित विषय पर संपूर्ण रूपरेखा रखी।
✍ राधेश्याम चौऋषिया
● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति
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