अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ भारतीय साहित्य की एकता एवं हिंदी पर विमर्श
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। यह संगोष्ठी भारतीय साहित्य की एकता एवं हिंदी पर केंद्रित थी। संगोष्ठी में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय साहित्य में स्वाभाविक एकता है। यह साहित्य भारत के कोटि - कोटि जन के हृदय की वाणी है। परस्पर सम्पर्क और अनुवाद के माध्यम से हिंदी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति की एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। प्रेरणा और अनुभव के धरातल पर भारतीय साहित्य की एकता सदियों से रही है। यह एकता संचार और आवागमन के असंख्य साधनों और सूचना प्रौद्योगिकी के क्रांतिदर्शी स्वप्नों के साथ हमकदम होती हुई आज और मजबूत हुई है।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री नागरी लिपि परिषद, दिल्ली ने कहा कि हिंदी ऐसी सुरसरि है जिसमें कई भाषाओं के शब्दों को समाहित करने की अदम्य शक्ति है।
ऑस्लो नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा प्रेम पथिक हूं दीपक रोज जलाता हूं, संस्कार से शील विनय दोहराता हूं।
डॉ अरुणा शुक्ला ,नांदेड़, राष्ट्रीय संयोजक ने अध्यक्षीय भाषण में कहा राष्ट्र की एकता और अखंडता में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ.दक्षा जोशी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अहमदाबाद ने कहा कि हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
डॉ. शहनाज शेख ,राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेताना ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता को आधार देने में भारतीय साहित्य की अविस्मरणीय भूमिका रही है।
श्री बृज किशोर शर्मा, संरक्षक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाइयां दी। श्री पदमचंद गांधी ने कहा कि हिंदी एक कोमल भाषा है।
डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ,राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। इस अवसर पर नवनिर्वाचित राष्ट्रीय पदाधिकारियों के दायित्व एवं कर्तव्य के संदर्भ में परिचर्चा भी की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ.मुक्ति शर्मा, राष्ट्रीय सचिव, कश्मीर की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. अरुणा सराफ, इंदौर प्रदेश सचिव मध्य प्रदेश ने दिया। प्रस्तावना डॉ प्रभु चौधरी, कोषाध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डॉ. प्रवीण जोशी, अनीता भाटी, रणजीत सिंह अरोरा, पुणे, गरिमा जी, अनिता गौतम, प्रीति शर्मा आदि सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
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