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गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए फसल के प्रत्येक चरण पर शोध कार्य की आवश्यकता- कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया कृषि विभाग के शोध प्रक्षेत्र का निरीक्षण

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की कृषि विज्ञान अध्ययनशाला में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शोध कार्य हेतु लगभग आठ बीघा जमीन को शोध प्रक्षेत्र बनाया गया है और इसमें सोयाबीन की  बुआई की गई है। इस अवसर पर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उत्पादन लेने के लिए प्रत्येक चरण पर निगरानी आवश्यक है। किसी भी फसल को लगाने के पूर्व फसल लगाते समय उसकी बुआई से लेकर कटाई के समय तक विभिन्न चरण होते हैं। इन चरणों पर शोध कार्य की आवश्यकता होती है और शोध के द्वारा ही हम किसी फसल का उत्पादन एवं गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम की पढ़ाई के समय जो शोध कार्य कर रहे हैं उसे बहुत गंभीरता से लें। उसे नियमितता और आधुनिक संसाधन का उपयोग करते हुए करें। क्योंकि शोध के परिणाम ही भविष्य की फसल के उत्पादन की गुणवत्ता, उसकी मात्रा इत्यादि को बढ़ाने में सहायक होंगे। 

कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश टेलर ने बताया कि सोयाबीन की बुआई की गई है। इसके द्वारा बीएससी  एवं एमएससी कृषि के विद्यार्थियों के द्वारा प्रायोगिक कार्य भी संपन्न किए जाएंगे। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश टेलर ने बताया कि कुलगुरु जी ने शोध का प्रारूप बनाने को कहा है और इसे 12 से 15 बीघा में शोध कार्य किया जाए। इस आशय के निर्देश विभाग अध्यक्ष को दिए गए हैं। 

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अनिल शर्मा एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि ये हर्ष का विषय है कि कृषि विभाग द्वारा महत्वपूर्ण पहल की गई है। इससे विद्यार्थी अध्ययन और अनुसंधान की दृष्टि से  लाभान्वित होंगे।

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