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असहजता से भरे विश्व में कबीर की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

संत कबीरदास जयंती समारोह एवं संत कबीर की सामाजिक दृष्टि और वर्तमान विश्व पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा निर्वाचित

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन का  8वाँ संत कबीरदास जयंती समारोह एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन केन्द्रीय कार्यालय उज्जैन भारतीय ज्ञानपीठ महाविद्यालय के सभागृह में सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मुख्य अतिथि श्री रणजीतसिंह अरोरा वरिष्ठ लेखक पुणे, विशिष्ट अतिथि श्री मानसिंह चौधरी पूर्व जिला पंचायत सदस्य उज्जैन, श्री संदीप कुलश्रेष्ठ पत्रकार उज्जैन, विशिष्ट वक्ता डॉ संतोष पंड्या पूर्व निदेशक कालिदास अकादमी उज्जैन थे। अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने  संत कबीर की सामाजिक दृष्टि और वर्तमान विश्व पर सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि कबीर का व्यक्तित्व और कर्तृत्व अत्यंत सहज है, किन्तु जब वे देखते हैं कि संसारी जीव इस मार्ग से बहुत दूर चले आए हैं, तब वे क्रांतिकारी चेतना से सम्पन्न हो आमूलचूल परिवर्तन के लिए तत्परता दिखाते हैं। आज के असहजता से भरे विश्व में उनकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ती जा रही है। वे हर प्रकार के विभेद और असमानता के विरुद्ध हैं। उनका संकेत साफ है कि जब एक ही तत्त्व सब में परिव्याप्त है तो फिर परस्पर भेदभाव उचित नहीं है। 

मुख्य अतिथि श्री रणजीत सिंह अरोरा पुणे ने गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर दास जी के सन्दर्भ में संगोष्ठी में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि श्री गुरुग्रंथ साहिब में कबीर वाणी अपने मूल स्वरूप में संरक्षित है। भारत के भक्ति काल के इतिहास में भक्त कबीर जी का आगमन अलौकिक है। भक्तों की श्रेणी में भक्त कबीर जी सर्वश्रेष्ठ है, जीवन के हर पहलू पर उन्होंने अपने विचारों से समाज को नई दशा और दिशा दी है। फिर चाहे वह सामाजिक जीवन हो, या धार्मिक, या राजनीतिक। आडंबर, पाखंड और अंध श्रद्धा का उन्होंने खुलकर विरोध किया था। उन्होंने धर्म की बुनियाद को सच, दया और संतोष माना था।

संगोष्ठी अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने अध्यक्षीय भाषण दिया। समारोह में विशिष्ट वक्ता श्री पदमचंद गांधी जयपुर, डॉ. जयसिंह रायपुर, श्रीमती सरोज दवे भोपाल, डॉ. अजीत जैन आगरा, डॉ. संतोष पंड्या आदि ने संत कबीर की सामाजिक दृष्टि और वर्तमान विश्व पर सारगर्भित विचार व्यक्त किये। 

यह जानकारी राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने देते हुए बताया कि  संस्था के मुखपत्र संचेतना समाचार पत्र संत कबीर दास विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजा एवं माल्यार्पण किया गया । सरस्वती वंदना श्रीमती सरोज दवे भोपाल ने प्रस्तुत की। संस्था के गत चार वर्षों का लेखा एवं प्रगति प्रतिवेदन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। संस्था के मार्गदर्शक डॉ. सन्तोष पंड्या की  सेवानिवृत्ति पर उन्हें शाल, श्रीफल अर्पित कर पदाधिकारियों ने अभिनंदन किया। 

तत्पश्चात् सहायक निर्वाचन अधिकारी डॉ. प्रभु चौधरी ने आगामी तीन वर्षों के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन के बारे में प्रक्रिया से अवगत कराया। निर्वाचन अधिकारी पदमचंद गांधी जयपुर ने निर्वाचन विधान की जानकारी दी। नवीन राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिये पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने अध्यक्ष पद हेतु डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम प्रस्तावित किया। जिसका समर्थन श्री रणजीतसिंह अरोरा एवं डॉ. प्रभु चौधरी ने किया। समस्त उपस्थित सदस्यों ने सर्वानुमति से अनुमोदन किया। निर्वाचन अधिकारी ने सर्वसहमति से डॉ. शर्मा को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया। संगोष्ठी में गत 4 वर्षो में आभासी 300 संगोष्ठियों की सफलता पर सभी को अभिनंदन पत्र प्रदान किये। संगोष्ठी में सहभागिता का प्रमाण पत्र अतिथियों ने प्रदान किया। 

संचालन डॉ. अनीता तिवारी भोपाल ने किया एवं आभार डॉ. प्रवीण जोशी ने माना। इस अवसर पर श्री संजय जौहरी, श्रीमती रिया कटारिया, श्री हिम्मतसिंह खींची, अमरसिंह गुनेर, धार, रजनी फतेहपुरकर, संगीता रानाडे, टीनासिंह, इन्दु सिन्हा आदि साहित्यकार उपस्थित रहे।

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