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खरपतवार नियंत्रण अच्छी पैदावार के लिए अनिवार्य और इसके जैविक नियंत्रण की विधियों पर बल देना चाहिए, पर्यावरण भी सुरक्षित रखा जा सकेगा - कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु द्वारा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कृषि विभाग में जैविक खरपतवार नियंत्रण पर विशिष्ट व्याख्यान दिया गया

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कृषि विभाग में दिनांक 6 मई 2024 को विद्यार्थियों को खरपतवार नियंत्रण के जैविक तरीकों से अवगत करवाया। 

विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करते हुए माननीय कुलगुरु जी ने कहा कि खरपतवार नियंत्रण कई तरीकों से किया जा सकता है।  जैसे सावधानीपूर्वक योजना बनाकर और रोपण करके और गीली घास का उपयोग किया जा सकता है। खरपतवार लाभकारी हो सकते हैं, परागणकों को आकर्षित कर सकते हैं और मिट्टी में सुधार कर सकते हैं अर्थात् खाद बनाते समय पोषक तत्व मिला सकते हैं। अपनी बात को बढ़ाते हुए माननीय कुलगुरु जी ने कहा कि खरपतवार पोषक तत्वों, प्रकाश और पानी के लिए फसलों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, इसलिए उनका प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। खरपतवार के कुछ क्षेत्रों को छोड़ने से परागण करने वाले कीड़ों के लिए भोजन उपलब्ध कराने और मिट्टी में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

उन्होंने कहा कि खरपतवारों को रोकने के लिए अंतर्निहित जैविक सिद्धांत लगातार बदलते वातावरण का निर्माण करना पड़ता है, जहां कोई भी प्रजाति अनुकूलन नहीं कर सकती, हावी नहीं हो सकती, असहनीय नहीं हो सकती, या मिट्टी के बीज बैंक में बीज वापस नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि अकसर एक से अधिक खरपतवार प्रबंधन दृष्टिकोण का उपयोग करना आवश्यक होता है। अच्छा घूर्णी डिज़ाइन स्वस्थ मिट्टी और पौधे और अच्छी पैदावार पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि खरपतवार नियंत्रण अच्छी पैदावार के लिए अनिवार्य है, अतः इसके जैविक नियंत्रण की विधियों पर बल देना चाहिए, जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।

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