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सुलभ थैलेसीमिया उपचार से सम्भव है इस रोग पर प्रभावी अंकुश -प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

विश्व थैलेसीमिया दिवस 2024 पर विशेष

रक्त से जुड़ी बीमारियों में थैलेसीमिया एक घातक बीमारी है। यह बीमारी बच्चों में होने वाली रक्त की विरली बीमारी है जो उन्हें पैतृक रूप से माता-पिता से विरासत में प्राप्त होती है। इस बीमारी में ऑक्सीजन वाहक प्रोटीन हिमोग्लोबिन सामान्य से कम मात्रा में हो जाता है। सामान्यतया जब बच्चे चिकित्सक के पास खून की कमी के इलाज हेतु आते हैं तो उनके रक्त परीक्षण में लाल रंग कोशिकाओं की संख्या, आकार या रंग में विसंगति से थैलेसीमिया बीमारी पकड़ में आ जाती है। इन बच्चों के रक्त में सीबीसी जांच और हिमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस किया जाता है। इन मरीजों के शरीर में रक्त की कमी का कारण रक्त में उपस्थित लाल रक्त कोशिकाओं में विसंगति आ जाना है। इन कोशिकाओं का जीवन काल सामान्यतया 120 दिवस होता है से घटकर 20 से 25 दिन हो जाता है। विश्व थैलेसीमिया दिवस 2024 की थीम है- जीवन को सशक्त बनाना, प्रगति को गले लगाना: सभी के लिए न्यायसंगत और सुलभ थैलेसीमिया उपचार। दुनिया भर में 10 करोड़ लोग थैलेसीमिया से प्रभावित हैं, तथा हर साल 3,00,000 से अधिक बच्चे इस रोग के गंभीर रूपों के साथ जन्म लेते हैं। भारत की कुल जनसंख्या का 3.4 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया ग्रस्त है। सामान्यतया 1 लाख की जनसंख्या में एक मरीज मिलता है। देश में बीमारी के वाहक (करियर) की अनुमानित संख्या 4 करोड़ है। 

इस बीमारी के लक्षण में मुख्यतः चिड़चिड़ापन, शारीरिक विकास ना होना, हड्डियों में विकृति का होना, सूखा चेहरा, सांस लेने में तकलीफ आदि हैं। पीड़ित मरीजों को भोजन में दाल, सुखी दलिया, अंडे को जर्दी, मटर के दाने, सोया उत्पाद, नट्स, दूध और दूध से बने खाद्य, फोलिक एसिड, कैल्शियम और जिंक युक्त आहार के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हेतु अदरक और नींबू पानी का सेवन करना उपयोगी होता है। साथ ही स्वच्छता का ध्यान देना और चिकित्सकीय परामर्श से योगा, एक्सरसाइज करना भी कारगर सिद्ध होते हैं। इन मरीजों को आयरन बाहुल्य खाद्य पदार्थ, जैसे सेम, मूंगफली, हरी पत्तेदार सब्जी, तरबूज, पालक, किशमिश, मांस, जंक फूड,  डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि थैलेसीमिया बीमारी का कोई प्रभावी उपचार नहीं है। बस इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की एन एस एस इकाई और रेड क्रॉस मिलकर इस बीमारी के उपचार के लिए प्रयास करेगी।

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