Skip to main content

शत प्रतिशत मतदान में ही लोकतंत्र की सार्थकता है - प्रो.शर्मा

अन्तरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में 289 वी अंतर्राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय- मतदान अधिकार और कर्तव्य, मतदान महोत्सव सुझाव एवं मार्गदर्शन व्याख्यान के अंतर्गत मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन ने अपने मंतव्य में कहा- पुरुषों की तुलना में महिलाएं मताधिकार के प्रति अधिक जागरूक हो गई हैं।

विशिष्ट अतिथि डॉ.हरिसिंह पाल,महामंत्री नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली ने कहा -सुदूर गांव से अगर कोई मतदान करनेआए तो उनके लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था होनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश चंद्र शुक्ल, शरद आलोक नार्वे ने कहा- चुनाव के लिए चंदा नहीं लेना चाहिए और प्रलोभन भी नहीं देना जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि श्री बृज किशोर शर्मा, पूर्व शिक्षा अधिकारी एवं अध्यक्ष ने कहा- शिक्षा के माध्यम से सारी चीजों को ठीक किया जा सकता है।

विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि मतदान हमारा अधिकार एवं कर्तव्य है  हमें पालन करते हुए सदुपयोग मतदान करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ दक्षा जोशी ने मतदान का महत्व काव्यात्मक रुप से किया।। समारोह की मुख्य अतिथि 

डॉ.अनसूया अग्रवाल, महासमुंद छत्तीसगढ़ , राष्ट्रीय मुख्य संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- हमें10 मतदाताओं को मतदान केंद्र तक अपने साथ लेकर जाना चाहिए। विधार्थियों को मतदान मित्रों के रूप में उपयोग करें।। संगोष्ठी की अध्यक्षता 

डॉ. सुवर्णा जाधव, कार्यकारी अध्यक्ष,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- जोडकर छुट्टी आती है तब तीर्थ यात्रा या धूमने के लालच में ना पडें। मतदान करें।

 डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद,राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना  ने कहा- सत्य और ईमान से,सरकार बने मतदान से।

विशिष्ट अतिथि श्री पद्ममचंद गांधी जी ने कहा- एक-एक वोट से कई वोट बनते हैं, इसलिए सभी का मतदान जरूरी है।

विशेष अतिथि रंजीत कुमार बेंगलुरु ने  कहा- सरकारी अधिकारियों को ऑनलाइन वोट देने की सुविधा होनी चाहिए। 

श्रीमती प्रतिभा ने कहा- गर्भवती महिलाओं के लिए वोट की व्यवस्था हो।

डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना  ने कहा -प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के मतदान का हक होना चाहिए।

श्रीमती सुधा शिक्षिका चंडीगढ़ ने कहा -नया नेता चुनते समय जनता का ख्याल रखे ऐसा नेता चुनना चाहिए।

कार्यक्रम का सफल संचालन श्वेता मिश्रा, पुणे, महाराष्ट्र, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। श्रीमती श्वेता मिश्रा की सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. अनीता तिवारी,भोपाल ने दिया,प्रस्तावना डॉक्टर अरुणा शुक्ला, नांदेड़ ने प्रस्तुत की।सुषमा गर्ग, दिल्ली रजनी प्रभा पटना  जया सिंह रायपुर रश्मि लता  मिश्रा डॉ शहेनाज शेख नांदेड़ आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...