दीक्षित विद्यार्थी अपने ज्ञान और संस्कारों से गरीबों और वंचितों के सेवा कार्यों में सहभागिता करें : राज्यपाल श्री पटेल
राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षित विद्यार्थियों को उपाधि प्रमाण पत्र प्रदान किए
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का 28 वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न
उज्जैन। 09 अप्रैल, 2024। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने विक्रम विश्वविद्यालय के दीक्षित विद्यार्थियों से कहा है कि अपने ज्ञान और संस्कारों से गरीबों और वंचितों के सेवा कार्यों में सहभागिता करें। अपने कर्तव्यों के पालन से समाज को प्रेरित करें। आप सभी महान विभूति महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने आक्रांताओं को परास्त किया और विभिन्न क्षेत्रों के विलक्षण विद्वानों को संरक्षण दिया था, जो विरासत के वाहक हैं। ऐसे महान शासक के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय के छात्र होने के नाते आप सबका यह दायित्व है कि प्राचीन और अद्यतन ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान में सहभागी बने। अपने ओज, शक्ति और सामर्थ्य से देश के नवजागरण, उत्कर्ष, गौरवशाली अतीत और परंपराओं को पुनर्स्थापित कर, भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करें।
राज्यपाल श्री पटेल आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2081 , 9 अप्रैल को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित 28वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में राज्यपाल श्री पटेल विभिन संकाय के पीएचडी और स्नाकोत्तर विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। उन्होंने मंच से विभिन्न संकाय के 183 विद्यार्थियों को उपाधि प्रमाण पत्र प्रदान किया। जिसमें 105 पीएचडी और 78 गोल्ड मेडल प्राप्त विद्यार्थी शामिल रहें।
इस अवसर पर महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र, पद्मश्री श्री भगवतीलाल राजपुरोहित, कुलगुरु विक्रम विश्वविद्यालय श्री अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय डॉ अनिल कुमार शर्मा, सहित कार्यपरिषद सदस्य, अन्य विभिन्न संकाय के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि भगवान महाकाल की नगरी, गीता का उपदेश देने वाले श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली और राजा विक्रमादित्य के कीर्ति प्रदेश में पधारना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई, विश्वविद्यालय के गुरुजनों और विद्यार्थियों के माता-पिता-अभिभावकों को में शुभकामनाएं देता हूँ। खुशी हुई कि विश्वविद्यालय द्वारा नई अनुसंधान शालाएं, क्यू आर कोड के साथ पौधरोपण और महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ 50 से अधिक एम. ओ. यू. किए गए हैं। शिक्षकों और विद्यार्थियों के सहयोग से 20 से अधिक उत्पादों, 40 से अधिक स्टार्टअप को विकसित करना और 25 से अधिक पेटेंट प्राप्त करना सराहनीय है। विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्रीय बोलियों के संरक्षण और संवर्धन के साथ मालवी बोली को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के लिए मैं संस्थान के प्रयासों को साधुवाद देता हूँ।
उन्होंने कहा कि हर्ष की बात है कि विश्वविद्यालय को पीएम ऊषा अभियान और मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी स्कीम के तहत सौ-सौ करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत हुआ है। मेरा मानना है कि शिक्षा, जीवन यापन के कौशल के ज्ञान के साथ ही मनुष्य में आदर्श मानवीय मूल्यों का विकास, कर्तव्यों और अधिकारों का बोध कराती है। भारतीय शिक्षा पद्धति में औपचारिक शिक्षा मंदिर, आश्रमों और गुरुकुल से जबकि परिवार, समाज, परंपराओं, त्योहारों से अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त होती थी।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि छात्रों में शिक्षा और समस्याओं के समाधान खोजने की उत्कंठा को जागृत करे उसमें विवेक, सत्यनिष्ठा, धैर्य और उद्यम के कौशल को विकसित करें। शिक्षक अपने आचरण से विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, जुझारूपन समाज के वंचित वर्गों के प्रति सिंपैथी और एमपैथी का भाव विकसित करें। क्योंकि ज्ञान का कोई अंत नहीं है इसलिए जीवन में हमेशा सीखने का भाव और भावना बनाकर रखता ही जागृत मनुष्य की पहचान है।
आप अपनी प्रतिभा से सफलता की ऐसी छाप छोड़े कि आपकी पहचान विश्वविद्यालय से नहीं बल्कि अब आपसे विश्वविद्यालय की पहचान हो। आपने परिश्रम से जो शिक्षा प्राप्त की है, उसका समाज और राष्ट्र हित में उपयोग करें, शिक्षा की यह पुण्य भावना ही आपकी अक्षय निधि बनेगी। दीक्षित विद्यार्थियों, पदक विजेताओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वच्छता को अपने जीवन के हर क्षेत्र में उतरने और विशेष अवसरों पर पौधारोपण करने के लिए प्रेरित किया।
महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के 28वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जैसा कि हम जानते हैं कि यह विश्वविद्यालय ज्ञान के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो भविष्य के लीडर्स और नवप्रवर्तकों के दिमाग को पोषित करता है। विश्वविद्यालय के प्रयास से कई नवाचारों का विकास हुआ है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है और सम्मानित किया गया है और जो औद्योगिक स्टार्ट-अप की स्थापना के समर्थन में सहायक रहे हैं। मैं उत्कृष्टता के प्रति समर्पण के लिए संकाय, कर्मचारियों और प्रशासन की सराहना करता हूं और स्नातकों को उनकी कड़ी मेहनत से मिली सफलता पर बधाई देता हूं। राज्यपाल श्री पटेल ने सभी हिंदू नववर्ष गुडी पड़वा का हार्दिक शुभकामनाएं दी। पद्मश्री श्री भगवतीलाल राजपुरोहित ने भी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित कर देश के विकास में अपने योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
दीक्षांत समारोह के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा में महामहिम राज्यपाल जी एवं अतिथियों के साथ कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा, कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री संजय नाहर, डॉ कुसुमलता निगवाल, डॉ संजय वर्मा, डॉ मंजूषा मिमरोट आदि सहित विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, शिक्षक सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
1 राज्यपाल श्री पटेल ने विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में स्थित राजा विक्रमादित्य की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
2 विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा निर्मित महर्षि सांदीपनि आश्रम में अध्ययनरत श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम पर केंद्रित रंगोली का अवलोकन किया और सराहना की।
3 राज्यपाल श्री पटेल ने 6 पुस्तकें इन्ट्रोडक्शन ऑफ मॉडर्न बॉटनी, रिसर्च मेथेडोलॉजी, मशरूम की खेती, इंसेक्ट पेस्ट आन एलमान्ड्स एंड पिस्टाकिओस ,मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ इंडिया और कम्पेनडियम ऑफ टैक्सेनामी ऑफ माइकोराइजल मशरूम्स ऑफ मध्यप्रदेश का विमोचन किया।
4 विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें राज्यपाल श्री पटेल भी सम्मिलित हुए।
5 उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से किया गया।
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