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विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का अट्ठाईसवें दीक्षांत समारोह की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – गुड़ी पड़वा पर्व पर 9 अप्रैल को होगा, सोमवार को दो बार कराई गई रिहर्सल

समारोह में 182 विद्यार्थी भाग लेंगे, जिनमें 109 पीएचडी शोधकर्ता और 77 स्नातक एवं स्नातकोत्तर गोल्ड मेडल प्राप्तकर्ता विद्यार्थी सम्मिलित

ललित कला के विद्यार्थी कलाकार रंगोली के माध्यम से चित्रित कर रहे हैं सांदीपनि आश्रम में अध्ययनरत श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम को

उज्जैन। दीक्षांत समारोह का आयोजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा, दिनांक 9 अप्रैल 2024 को प्रातः 10:30 बजे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर स्थित स्वर्ण जयंती सभागार में मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में होगा। समारोह के मुख्य अतिथि भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय उपाध्याय दीक्षांत भाषण देंगे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार पद्मश्री डॉ भगवतीलाल राजपुरोहित होंगे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय विद्यार्थियों को आशीर्वचन प्रदान करेंगे।  

यह जानकारी देते हुए कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अट्ठाईसवाँ दीक्षांत समारोह 9 अप्रैल, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा- गुड़ी पड़वा के पावन पर्व पर आयोजित होने जा रहा है। सोमवार देर शाम तक दीक्षान्त समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। दीक्षांत समारोह का पूर्वाभ्यास 8 अप्रैल को दो बार प्रातः 10 बजे एवं दोपहर 4:00 बजे किया गया, जिसमें कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा, कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री संजय नाहर, डॉ संजय वर्मा, डॉ मंजूषा मिमरोट आदि सहित अनेक संकायाध्यक्ष, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं दीक्षार्थी बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। 

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि सोमवार को विक्रम विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह की तैयारियों को लेकर दिन भर विभिन्न समितियों के संयोजकों और सदस्यों द्वारा समारोह स्थल स्वर्ण जयंती सभागार एवं परिसर में विभिन्न तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। देर रात तक ललित कला के विद्यार्थी कलाकार रंगोली के माध्यम से सांदीपनि आश्रम में अध्ययनरत श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम को चित्रित कर रहे हैं। इसी प्रकार विद्यार्थियों के लिए दीक्षांत समारोह की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए सेल्फी के दो विशेष स्थान बनाए गए हैं। भारत की विरासत और जनजातीय संस्कृति को दर्शाने के लिए परिसर में विशेष पोस्टर लगाए गए हैं। 

समारोह के लिए अब तक 180 विद्यार्थियों ने पंजीयन करवाया है, जिनमें 107 पीएचडी शोधकर्ता और 77 स्नातक एवं स्नातकोत्तर गोल्ड मेडल प्राप्तकर्ता विद्यार्थी सम्मिलित हैं। दीक्षांत समारोह में वर्ष 2023 के पीएच डी उपाधि धारकों को डिग्री और 2023 की स्नातक परीक्षाओं की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए जाएंगे। वर्ष 2023 की स्नातकोत्तर परीक्षाओं की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त  विद्यार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए जाएंगे।इस समारोह में सभी अतिथि, सुधीजन और दीक्षार्थी पारम्परिक परिधान में सम्मिलित होंगे, जिसका विवरण विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। दीक्षांत समारोह में प्रतिभागी विद्याार्थियों से निर्धारित पारंपरिक वेशभूषा में उपस्थित होने का अनुरोध किया गया है। इसके अंतर्गत छात्राओं हेतु ऑफ व्हाईट या क्रीम रंग की साड़ी अथवा सलवार सूट तथा छात्रों हेतु ऑफ व्हाईट या क्रीम रंग का कुर्ता - पायजामा निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त समस्त विद्याार्थियों को पीली पगड़ी, गोल्डन ब्राउन जैकेट, डी. लिट, पीएच. डी. विद्यार्थियों को क्रीम रंग का उत्तरीय, स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को लेमन यलो रंग का उत्तरीय तथा स्नातक विद्यार्थियों को ऑरेंज रंग का उत्तरीय धारण करना होगा।

एक दिन पहले हुई रिहर्सल और तैयारियों में कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा,  डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा, प्रो डी एम कुमावत, वित्त नियंत्रक श्री जयेश तोमर, प्रो उमा शर्मा, प्रो उमेशकुमार सिंह, प्रो डी डी बेदिया,, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, प्रो सन्दीप तिवारी, प्रो धर्मेंद्र मेहता, इंजी श्री अतुल जैन, डॉ वीरेंद्र चावरे, डॉ कानिया मेड़ा, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ कमल बुनकर, डॉ सलिल सिंह, डॉ राज बोरिया, डॉ संग्राम भूषण आदि सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, समितियों के संयोजक एवं सदस्यगण उपस्थित थे। सांदीपनि आश्रम की रंगोली निर्माणकर्ता कलाकार विद्यार्थियों में पंकज सेहरा,  मुकुलसिंह,  जीत डे,  जगबंधु महतो, लक्ष्मी कुशवाह, अक्षित शर्मा,  नंदिनी प्रजापति,  नैसा खान, अलका कुमारी आदि  सम्मिलित हैं।

दीक्षांत समारोह में परिधान के लिये खादी या अन्य हथकरघा कपड़े का उपयोग करने का अनुरोध विश्वविद्यालय प्रशासन ने किया है।

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