Skip to main content

छोटी छोटी घटनाओं में अपने विषय से जुड़े तथ्य ढूंढे तभी अपने विषय की बारीकियां सीख पाएंगे - कुलपति प्रो पाण्डेय


विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों से किया संवाद 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में निरीक्षण के लिए पहुंचे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने जैव प्रौद्योगिकी, प्राणिकी एवं फोरेंसिक साइंस के विद्यार्थियों से चर्चा की। 

विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि विद्यार्थियों को सदैव किसी भी घटना में अपने विषय से संबंधित बारीकियों को खोजना चाहिए ताकि वे अपने विषय की तह तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि दोनों ही  विषय जैव प्रोद्योगिकी एवं फोरेंसिक साइंस प्रायोगिक आधारित पाठ्यक्रम हैं। इनमें विद्यार्थियों को सर्वाधिक प्रायोगिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही फोरेंसिक साइंस विभाग को कंप्यूटर सेंटर के नवीन भवन में स्थानांतरित किया गया है एवं डॉक्टर सलिल सिंह को फोरेंसिक साइंस अध्ययनशाला का विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 

इस अवसर पर प्राणिकी, जैव प्रौद्योगिकी एवं फोरेंसिक साइंस अध्ययनशाला के विभागाध्यक डॉक्टर सलिल सिंह ने कहा कि माननीय कुलपति जी के मार्गदर्शन में यह संपूर्ण विभाग विद्यार्थियों को उच्चतम शिक्षा देते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचेगा। उन्होंने यह भी कहा उनका प्रयास रहेगा कि विषय विशेषज्ञों से विद्यार्थियों को शिक्षित कराया जाए ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हो सके। 

इस अवसर पर डॉक्टर गणपत अहिरवार के साथ प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला और फोरेंसिक साइंस अध्ययनशाला के शिक्षक उपस्थित थे। फोरेंसिक विज्ञान के शिक्षकों और विद्यार्थियों को  विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बधाई दी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं