Skip to main content

अच्छे कार्य करने से शरीर में अच्छे हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो मन को प्रसन्नता और संतुष्टि देते हैं और स्वस्थ रखते हैं - कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय

अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत विक्रम विश्वविद्यालय में चलाया गया स्वच्छता अभियान  

उज्जैन: अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत विक्रम विश्वविद्यालय विक्रमेश्वर मंदिर के परिसर में एन एस एस के विद्यार्थियों द्वारा परिसर की साफ-सफाई की गई।          

  

अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत समस्त महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी तारतम्य में विक्रम विश्वविद्यालय स्थित विक्रमेश्वर महादेव मंदिर एवं मंदिर के आस-पास के स्थान के साफ-सफाई की गई। 

इस अवसर पर उपस्थित विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विद्यार्थियो को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अच्छे कार्य करने से शरीर में अच्छे हार्मोन्स का रिलीज होता जो मन को प्रसन्नता और सन्तुष्टि देता है। हमने स्वस्थ रखता है और इसीलिए विद्यार्थियों को ऐसे अच्छे कार्यों को करते रहना चाहिए जो उनका व्यक्तित्व विकास करने में सहायक हो। यही एन एस एस का मुख्य उद्देश्य भी है। 

इस अवसर पर एन एस एस के विद्यार्थियों और विक्रम विश्वविद्यालय परिसर के रहवासियों द्वारा मंदिर परिक्षेत्र को साफ किया गया। इस क्षेत्र से गाजर घास उन्मूलन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ विजय कुमार वर्मा, कार्यक्रम समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना, विक्रम विश्वविद्यालय और डॉक्टर प्रदीप लाखरे जिला संगठक राष्ट्रीय सेवा योजना, उज्जैन ने बताया कि इस आयोजन में उज्जैन निर्मला महाविद्यालय, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, और विक्रम विश्वविद्यालय की अध्ययनशाला इकाई के एन एस एस विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शिवी भसीन, कार्यक्रम अधिकारी, विक्रम विश्वविद्यालय, अध्ययनशाला इकाई, डॉक्टर सुशील कश्यप एवं डॉक्टर शीतल अरोड़ा, कार्यक्रम अधिकारी निर्मला महाविद्यालय एवं डॉक्टर अजय श्रीवास्तव, कार्यक्रम अधिकारी, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, उज्जैन ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियो के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं।  विद्यार्थियों को इस आयोजन को सफल बनाने में अपनी विशेष रुचि दिखाई है, जो कि भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने देते हुए सभी कार्यकर्ताओं को इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए बधाई दी। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉक्टर गणपत अहिरवार और डॉक्टर पूर्णिमा त्रिपाठी के साथ विक्रम विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के कई रहवासी महिलाएं उपस्थित थी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...