राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिंदी परिवार ,इंदौर इकाई उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित आभासी गोष्ठी जिसका विषय -' हिंदी की वैश्विक स्थिति :सफलता और संभावनाएं ' इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्री पदमचंद गांधी, राष्ट्रीय संयोजक एवं साहित्यकार ,जयपुर ने अपना मंतव्य देते हुए कहा -राजनीति से ऊपर होकर हमें हिंदी को राष्ट्रभाषा मानना होगा। विश्व में 55 अरब से ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं ।।-श्रीगांधी ।।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिंदी परिवार ,इंदौर इकाई उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित आभासी गोष्ठी जिसका विषय -' हिंदी की वैश्विक स्थिति :सफलता और संभावनाएं 'इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्री पदमचंद गांधी, राष्ट्रीय संयोजक एवं साहित्यकार ,जयपुर ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि राजनीति से ऊपर होकर हमें हिंदी को राष्ट्रभाषा मानना होगा।आज विश्व में 55 अरब से ज्यादा लोग हिंदी बोलते नागरी लिपि में लिखते और अधिकांश हिन्दी समझते हैं।। संगोष्ठी केविशिष्ट वक्ता डॉ .प्रभु चौधरी , महासचिव , राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को स्थापित करने में हिंदी भाषा का विशेष योगदान रहा है।
विशेष अतिथि श्रीमती शैली भागवत, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ने कहा कि जन -जन की भाषा है, हिंदी भारत की आशा है ।
श्रीमती सुधा ने कहा कि हमारे हृदय की भाषा है, हिंदी सरल भाषा है।
श्रीमती सुधा मेहता ,चंडीगढ़ ने कहा कि भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने का कार्य करती है हिंदी ।
श्रीमती अलका चतुर्वेदी लखनऊ ने कहा कि आज देश-विदेश में परचम लहरा रही है हिंदी। हस्ताक्षर हिंदी में करना चाहिए।
श्रीमती निशा शर्मा,बरेली ने कहा कि विश्व हिंदी दिवस की आधार है -'हिंदी पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता'
श्री सुंदरलाल जोशी सूरज , राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि विदेशी लोग भी हिंदी सीख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।
प्रो.तृप्ति शर्मा,बेंगलुरु ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा हो ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं ।
डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक , राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- तकनीकी रूप से हिंदी उपयुक्त भाषा है।
डॉ .रश्मि चौबे ,कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई ,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. रश्मि चौबे ,गाजियाबाद की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण श्रीमती निशा शर्मा बरेली ने किया ।प्रस्तावना -सुश्री शैली भागवत राष्ट्रीय संयुक्त सचिव इन्दौर ने प्रस्तावित की ,आभार व्यक्त श्वेता मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना,पुणे ,महाराष्ट्र ने किया।
विशिष्ट वक्ता डॉ .प्रभु चौधरी ,महासचिव ,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को स्थापित करने में हिंदी भाषा का विशेष योगदान रहा है।
विशेष अतिथि श्रीमती शैली भागवत, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ने कहा कि जन -जन की भाषा है, हिंदी भारत की आशा है ।
श्रीमती सुधा मेहता ने कहा कि हमारे हृदय की भाषा है, हिंदी सरल भाषा है ।
श्रीमती सुधा मेहता ,चंडीगढ़ ने कहा कि भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने का कार्य करती है हिंदी ।
श्रीमती अलका चतुर्वेदी लखनऊ ने कहा कि आज देश-विदेश में परचम लहरा रही है हिंदी। हस्ताक्षर हिंदी में करना चाहिए।
श्रीमती निशा शर्मा,बरेली ने कहा कि विश्व हिंदी दिवस की आधार है -'हिंदी पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता'
श्री सुंदरलाल जोशी सूरज , राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- विदेशी लोग भी हिंदी सीख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।
प्रो.तृप्ति शर्मा, बेंगलुरु ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा हो ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं ।
डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक , राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि तकनीकी रूप से हिंदी उपयुक्त भाषा है।
डॉ .रश्मि चौबे ,कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई ,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. रश्मि चौबे ,गाजियाबाद की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण श्रीमती निशा शर्मा बरेली ने किया ।प्रस्तावना -सुश्री शैली भागवत राष्ट्रीय संयुक्त सचिव इन्दौर ने प्रस्तावित की ,आभार व्यक्त श्वेता मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना,पुणे ,महाराष्ट्र ने किया।
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