सुगीता कर्त्तव्या: किमन्यै: शास्त्रविस्तरै: - पं. योगेश शर्मा
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध एडुप्रेन्योर का विशिष्ट व्याख्यान
उज्जैन। विकसित भारत @2047 का मूलाधार श्रीमद्भागवत गीता के विभिन्न श्लोको को विकसित भारत @2047 से पिरोते हुए गीता सुगीता कर्त्तव्या: किमन्यै: शास्त्रविस्तरै: को उद्धरित करते हुए अपने विशिष्ट अंदाज में पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिभाशाली छात्र, एगोशदीप संस्थान समूह, नागदा के संस्थापक (श्री) पं.योगेश शर्मा ने उपरोक्त विचारोत्तेजक व्याख्यान में व्यक्त किए। आपने उन्हे स्वस्थ विचारों, मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्व उद्यम को दैनंदिन जीवन शैली में रुचि के साथ ही अपनी नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रो. डॉ धर्मेंद्र मेहता द्वारा निरंतर किए जा रहे अकादमिक प्रयासों की सराहना करते हुए, नई पीढ़ी के विद्यार्थियों से जुझारूपन को विकसित करके साथ-साथ अपने समकालीन भावनात्मक अनुभवों को साझा किया।
इस अत्यंत गरिमामय कार्यक्रम में पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के निदेशक ने विगत माह से प्रारंभ विकसित भारत @2047 श्रृंखला के तहत आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजन की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए श्री योगेश शर्मा के जीवन वृत्त, सहित उनकी 23 वर्षो की निरंतर अथक उद्यम यात्रा का परिचय भी नई पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उन्हे संस्थान यूनिवर्सिटी के सफलतम एडुप्रेनेयर की संज्ञा दी।
इस अवसर पर फार्मेसी अध्ययनशाला के संकाय डॉ. दर्शन दुबे, श्री राकेश खोती वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, श्री गोविंद तोमर, स्टाफ मेंबर्स, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के प्रथम/ तृतीय सेमिस्टर्स के विद्यार्थियों ने संस्थान परिवार की ओर से पूर्व छात्र का आत्मीय सम्मान भी किया।
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