जड़ता के विरुद्ध और समाज में व्याप्त विद्रूपताओं पर प्रहार हैं नवीन की रचनाएं - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा
राष्ट्र धर्म का निर्वाह करने वाली कृतियां है प्रदीप नवीन की - सत्यनारायण सत्तन
वरिष्ठ कवि प्रदीप नवीन की दो काव्य कृतियों का हुआ लोकार्पण
उज्जैन । वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप नवीन जी दो काव्यकृतियों का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता प्रसिद्ध कवि श्री सत्यनारायण सत्तन ने की।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि नवीन जी की रचनाएं जड़ता के विरुद्ध और सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करती हैं। इस प्रकार की रचनाएं एक और जहां करारा व्यंग्य है, वही संस्कारों को पोषित करने पर भी मार्गदर्शन का कार्य करती है। श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय द्वारा इन रचनाओं पर बहुत ही सुंदर भूमिका लिखी गई है और कहा गया है कि इस प्रकार की विशिष्ट रचनाएं कवि प्रदीप ही लिख सकते हैं।
कविवर सत्यनारायण सत्तन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दीपक से निकलने वाला प्रकाश ही प्रदीप है। हास्य व्यंग्य के चर्चित कवि प्रदीप नवीन की दो कृतियां कृतियां राष्ट्र धर्म का निर्वाह करती हैं। अचेतन को चेतन की ओर ले जाती हैं।
कविवर श्री प्रदीप नवीन की दो कृतियों टांग उसने क्यों अड़ाई व्यंग्य रचनाएं तथा स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाएं जननायक का लोकार्पण समारोह श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा अपने सभागार में आयोजित किया गया।
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डॉ विकास दवे ने कहा कि कवि प्रदीप की रचनाओं में व्यंग्य के साथ संवेदनाएं हैं तथा राष्ट्र प्रेम है जो मानसिक गुलामी से मुक्ति दिलाने का सार्थक प्रयास है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार अष्ठाना ने कहा कि वीरांगनाओं पर लिखी कृति अनुपम है जो जन जन तक पहुंचना चाहिए । टांग उसने क्यों अड़ाई कृति पर चर्चा करते हुए श्री संतोष मोहंती इंदौर ने कहा कि इनमें चोटिला व्यंग्य है और सत्य पर आधारित है पढ़ने पर मन का दर्द भी भूल जाता है।
डॉक्टर दीपेंद्र शर्मा, धार ने स्वतंत्रता की वीरांगनाओं कृति पर बोलते हुए कहा कि कभी पाषाण युग हुआ करता था अब लोग पाषाण होते जा रहे हैं। नवीन जी ने अपने साहित्य में राष्ट्र का ऋण चुकाया है। समिति के प्रधानमंत्री श्री अरविंद जवलेकर ने स्वागत उद्बोधन के साथ समिति की साहित्यिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। श्री नवीन जी ने अपनी सृजन विधा के साथ-साथ दो-तीन चुनिंदा रचनाएं सुना कर खचाखच भरे सभागार को हास्य में डुबो दिया। आरंभ में दीप प्रज्वलन पश्चात कलाकार निवेदिता पंड्या ने मां भारती की वंदना मोहक नृत्य के साथ प्रस्तुत की ।
संचालन, अतिथि परिचय के साथ प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने किया। आभार कौतूहल काले ने व्यक्त किया।अतिथियों के स्वागत और स्मृति चिन्ह प्रदान में सर्वश्री सूर्यकांत नागर, डॉ राकेश शर्मा, डॉ नीरज दीक्षित, डॉक्टर पदमां सिंह, प्रभु त्रिवेदी, अनिल भोजे, विनीता चौहान, कुमारी जानव्ही एवं दक्ष, वाणी जोशी, सदाशिव कौतुक तथा रामलाल प्रजापति आदि की भूमिका रही ।
कार्यक्रम में श्री राजेश शर्मा, उमेश पारीख, डॉक्टर जी डी अग्रवाल, ज्योति जैन, डॉक्टर संध्या जैन, डॉक्टर सुधा चौहान, प्रजापत अकेला, डॉ योगेंद्र शुक्ला, डॉक्टर नंदलाल भारती, शरद शर्मा, इंदु पाराशर, अनिल धड़वईवाले, शिशिर उपाध्याय, बड़वाह, श्री राम शर्मा परिंदा, मनावर, मुकेश तिवारी, दामिनी ठाकुर, डॉ दीप्ति गुप्ता, गोपाल महेश्वरी, समाजसेवी अनिल त्रिवेदी आदि काफी संख्या में सुधीजन और साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम में श्री प्रदीप नवीन का समिति के अलावा हिंदी परिवार इंदौर, मराठी साहित्य साहित्य मंच इंदौर, लेखिका संघ, विचार प्रवाह मंच, जगदीश जोशीला, महेश चंद्र जाजू, महेश सिल्वर ऑक्स कॉलोनी, वामा साहित्य मंच तथा अनेक संस्थाओं द्वारा स्वागत किया गया।
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