कृषि कर्म की नवीन संभावनाओं पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कृषि विज्ञान अध्ययनशाला में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया गया, जो पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम में अध्ययनशाला में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के सम्माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे।
माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रोडक्शन बढ़ने से कुछ समस्याएं जैसे सॉइल फर्टिलिटी प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि सॉइल फर्टिलिटी की वृद्धि करने के लिए ऑर्गेनिक खेती करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उन्होंने खेती में वैल्यू एडिशन की बात कही। उन्होंने कहा कि किसानों को उन्नत बनाने के लिए हमें नए प्रकार से खेती करने की आवश्यकता है जिसमें उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ हमें उत्पादों के वैल्यू को बढ़ाना होगा और किसानों के सामने वातावरण परिवर्तन के कारण जो समस्याएं आ रही हैं, उन समस्याओं के साथ में उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जाए। इसके अतिरिक्त माननीय कुलपति जी द्वारा परंपरागत खेती एवं उसके साथ में होने वाले पशु पालन को बढ़ावा देते हुए कहा कि हमको पुनः परंपरागत खेती की ओर अग्रसर होना चाहिए, जिसमें हमको फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुओं का भी पालन करना आवश्यक है। पशुओं द्वारा मिलने वाले वेस्ट पदार्थ का कृषि में उपयोग कर हम ऑर्गेनिक फार्मिंग को और अच्छे तरीके से कर सकते हैं। कुलपति जी के द्वारा जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान एवं जय अनुसंधान के महत्व के बारे में भी विद्यार्थियों को विस्तार पूर्वक बताया गया।
कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि कृषि की शुरुआत मानव के विकास के साथ शुरू हुई। उन्होंने वर्षा, कृषि कर्म और उससे उत्पन्न हर्ष की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि शस्य वेद, वेदों के समान महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को बृहद् कृषि पराशर ग्रंथ को पढ़ने की सलाह दी। डॉ शर्मा ने बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की किसान कविता किसान के जीवन को प्रत्यक्ष कराती है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की कविता धूलि मंदिर के माध्यम से किसान की महिमा को वर्णित किया |
एक अन्य व्याख्यान में एफआरआई, देहरादून से आए डॉक्टर मनीष कुमार ने कृषि शोध में सांख्यिकी के महत्व विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
इस कार्यक्रम में मुख्य कृषि प्रबंधक श्री पांचाल जी ने अपना व्याख्यान दिया, जिसमें मध्य प्रदेश में कृषि के महत्व एवं मध्य प्रदेश की जाने वाली कृषि पद्धतियों के बारे में चर्चा की। इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्र में चलाई जाने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं उनसे किसानों को होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की। कृषि के क्षेत्र में सरकार के द्वारा दिए जाने वाले ऋण के बारे में विद्यार्थियों को बताया।
इस कार्यक्रम एसबीआई के रिटायर्ड प्रबंधक एवं वरिष्ठ समाज सेवी श्री एस एस नारंग ने मध्य प्रदेश में कृषि की स्थिति विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों में मध्य प्रदेश का देश में अग्रणी स्थान है और यहां से विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों को एक्सपोर्ट किया जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था में मध्य प्रदेश के महत्व को बताया।
स्वागत भाषण कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के विभाग अध्यक्ष डॉ राजेश टेलर ने दिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनका पुरस्कार वितरण अतिथियों द्वारा किया गया। मुख्य कार्यक्रम का संचालन डॉ पुष्पेंद्र घोष ने किया तथा आभार कार्यक्रम की कोऑर्डिनेटर डॉ वर्षा पटेल ने व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में डॉ संदीप तिवारी, डॉ डीडी बेदिया, डॉ रुचि यादव, डॉ अनीता यादव, डॉ राजेश परमार, डॉ कमल बुनकर , डॉ राज बोरिया, डॉ शिवम् शाक्यवार, डॉ प्रभु दयाल पवार,, डॉ शोभा मालवीय. डॉ उमा पाटीदार , डॉ नीतू, मृणाल शाह एवं विकास खत्री उपस्थित रहे।
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