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शोधार्थी अपने शोध का प्रकाशन अधिक से अधिक भारतीय शोध पत्रिकाओं में करें, जिससे भारतीय शोध को बढ़ावा मिल सके - कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय







बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में "बायोलॉजी फॉर लाइफ " विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित

उज्जैन - बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में "बायोलॉजी फॉर लाइफ " विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए। 

माननीय कुलपति जी ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि, माइक्रोबायोलॉजी, बायोलॉजिकल साइंस की एक महत्वपूर्ण ब्रांच है, जिसके अंतर्गत माइक्रोऑर्गैनिस्मस का अध्ययन किया जाता है, जो माइक्रोस्कोपिक सूक्ष्म एककोशिकीय या सेल ऑर्गेनेल और संक्रामक एजेंट हो सकते हैं। अब तक माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट द्वारा अध्ययन किए गए विभिन्न प्रकार के माइक्रोब्स में बैक्टीरिया, आर्किया, वायरस, यूकेरियोट्स, कवक, प्रियन, प्रोटोजोआ और शैवाल शामिल हैं। ये माइक्रोब्स आकर और प्रकृति के मामले में भिन्न हो सकते हैं। 

अपनी बात बढ़ाते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि नकारात्मक प्रभाव के अलावा भी कुछ माइक्रोब्स के कई लाभ होते हैं, जैसे माइक्रोऑर्गैनिस्म इंडस्ट्रियल फर्मेंटेशन और एंटीबायोटिक प्रोडक्शन जैसी प्रक्रिया में सहायक होता है। माइक्रोऑर्गेनिज्म पौधों और जानवरों जैसे काम्प्लेक्स ऑर्गनिज़मस में डी एन ऐ को मूव करने के लिए न्यूक्लियर व्हीकल्स के रूप में भी कार्य करते हैं। माइक्रोबायोलॉजी एक ब्रॉड डिसिप्लिन है और माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, सेलुलर लेवल और कम्युनिटी लेवल पर माइक्रोब्स का अध्ययन करते हैं जिसके माध्यम से कई जटिल बीमारियों का अध्ययन किया जाता है। 

शोधार्थियों से वार्ता करते हुए कुलपति जी ने विद्यार्थी को अपने शोध का प्रकाशन अधिक से अधिक भारतीय शोध पत्रिकाओं में करें जिससे भारतीय शोध को बढ़ावा मिल सके और शोधार्थी अपने शोध का विषय चयन करते समय यह स्मरण रखे कि उनका चयनित विषय समाज के लिए हितकारी हो एवं उनके शोध का लाभ समाज को मिल सके। यह जानकारी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने दी।

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