कंप्यूटर विज्ञान संस्थान में विकसित भारत @ 2047 : नई संभावनाएं और युवा वर्ग विषय पर सेमिनार एवं कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान संस्थान में विकसित भारत @2047: नई सम्भावनाएं और युवा वर्ग पर एक दिवसीय सेमिनार एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विशिष्ट अतिथि कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे।
इस अवसर पर कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि भारत आने वाले दौर में सम्पूर्ण विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देते हुए एक समर्थ और विकसित राष्ट्र के रूप में भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। इस दिशा में युवा वर्ग अपने संकल्प और सुझावों को प्रस्तुत कर सहभागी बनें। यह भारत के लिए अमृतकाल है। देश के इतिहास में यह वह दौर है जब हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अन्य देशों के उदाहरण देखते हुए हम अपने राष्ट्र को भी नए दौर में प्रगति पथ पर लेकर आगे बढ़ें।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारत एक विश्व शक्ति के रूप में विश्व मानवता के कल्याण के लिए अपना योगदान दे रहा है। आगामी दशकों के भारत की नई तस्वीर को बनाने में सभी लोग अपनी जिम्मेदार भूमिका निभाएं। शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका समग्र व्यक्तित्व का विकास करना है। उसके माध्यम से राष्ट्र का व्यापक निर्माण हो सकता है। वर्तमान भारत में व्यक्तित्व निर्माण के अभियान में सभी जुटें।
विकसित भारत के नोडल अधिकारी डॉ कमल बुनकर ने विकसित भारत की संकल्पना और महत्व को समझाया। विकसित भारत के अंतर्गत सहायक नोडल अधिकारी डॉ ब्रह्मदत्त शुक्ल ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों को संदर्भित विषय पर अवगत कराया।
कार्यशाला के पश्चात कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के मार्गदर्शन में विभिन्न विभागाध्यक्षों और संकाय सदस्यों ने अनेक विभागों और लायब्रेरी में जाकर विद्यार्थियों को माय जीओवी डॉट इन पोर्टल पर जाकर विकसित भारत 2047 युवाओं की आवाज़ अभियान में अपने फीडबैक, विचार एवं सुझाव प्रस्तुत करने का आह्वान करते हुए प्रशिक्षण दिया। इस दौरान कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो संदीप तिवारी, डॉ कमल बुनकर, डॉ नलिनसिंह पंवार, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ राज बोरिया, डॉ कनिया मेड़ा, डॉ सलिल सिंह, डॉ वीरेंद्र चावरे आदि सहित अनेक संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यशाला का संचालन डॉक्टर ब्रह्मदत्त शुक्ला ने किया एवं आभार प्रदर्शन सुश्री प्रज्ञा सिंह तोमर ने किया।
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