डॉ प्रकाश जोशी डॉ जितेंद्र जैन |
उज्जैन। प्रतिवर्ष की भांति कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि के अवतरण दिवस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 10 नवंबर को संपूर्ण भारत में मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम है "हर दिन हर किसी के लिए आयुर्वेद", आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ, जन स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद, छात्रों के लिए आयुर्वेद, आयुर विद्या किसानों के लिए वृक्ष आयुर्वेद।
देवासुर संग्राम के समय समुद्र मंथन का निश्चय करके वासुकी नाग की रज्जू बना कर मंदराचल पर्वत की मथनी बनाकर समुद्र मंथन हुआ। समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले, 14 रत्नों में एक भगवान धन्वंतरि आयुर्वेदमय पुरुष दंड व कमंडल के साथ प्रकट हुए। समुद्र मंथन के पूर्व विभिन्न प्रकार की औषधियां डाली गई थी। उनके संयुक्त रसों का स्रावअमृत के रूप में निकला संपूर्ण विश्व को आचार संहिता आरोग्यदान जीवन प्रबंधन का संदेश शल्य चिकित्सा के निष्णात वैद्य भगवान धन्वंतरि ने दिया ।
आयुर्वेद में आरोग्य के सूत्र बताए गए हैं -
(1) आहार सेवन के नियमों का पालन करें
(2) जल सेवन के नियमों का पालन करें
(3) विरुद्ध आहार के सेवन का त्याग करें
(4) उचित मात्रा में निद्रा का सेवन करें
(5) प्रतिदिन उचित मात्रा में व्यायाम करें
(6) प्रातः तेल से सर्व शरीर में अभ्यंग करें
(7) सदव्रत का पालन करें
(8) अधारणीय वेग जैसे मल मूत्र आदि का त्याग करें
(9) अधिक मानसिक चिंतन से बचें
(10) प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायो का पालन करें
(11) नित्य रसायन औषधि जैसे दुग्ध घृत आदि का सेवन करें
(12) अपनी जठराग्नि की रक्षा करें भूख के अनुसार ही भोजन करें
आयुर्वेद में बताए हुए इन दिशा निर्देशों का पालन करने से मनुष्य मात्र की आयु दीर्घायु के साथ सुखायु और हितायु होती है।
जय आयुर्वेद , जय भगवान धन्वंतरि
✍️ डॉ प्रकाश जोशी
एमडी, आयुर्वेद शासकीय धन्वंतरी आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय
✍️ डॉ जितेंद्र जैन
एमडी, आयुर्वेद संहिता सिद्धांत
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी जिला उज्जैन
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