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विश्वविद्यालय के डॉ सक्सेना को पेटेंट में हेटट्रिक


पोर्टेबल पर्यावरण डेटा मॉनिटरिंग बॉक्स का इंडियन पेटेंट प्राप्त किया

उज्जैन। स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के समन्वयक डॉ विष्णु कुमार सक्सेना ने कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विषय में शोध करने के उपरांत पोर्टेबल पर्यावरण डेटा मॉनिटरिंग बॉक्स का इंडियन पेटेंट करवाने में सफलता प्राप्त की है। डॉ सक्सेना द्वारा यह तीसरा इंडियन पेटेंट प्राप्त किया गया है। 

जैसे-जैसे मानव जनसंख्या, औद्योगिक गतिविधियाँ और ऊर्जा की खपत बढ़ती जा रही है, पर्यावरण निगरानी रिपोर्ट की सटीकता और पर्यावरण निगरानी प्रक्रिया की लागत-प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उन्नत, स्वचालित निगरानी अनुप्रयोगों और उपकरणों का निरंतर विकास महत्वपूर्ण होता जा रहा है,  इसी को ध्यान में रखते हुए पोर्टेबल पर्यावरण डेटा मॉनिटरिंग बॉक्स के एक नए डिज़ाइन के आविष्कार में एक हाथ से पकड़े जाने योग्य उपकरण, एक सिंकिंग उपकरण, एक जल गुणवत्ता निगरानी उपकरण और एक नियंत्रक शामिल है। हवा की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता और मिट्टी की स्थिति जैसे पर्यावरणीय मापदंडों का पता लगाने और मापने के लिए फेरिक ऑक्साइड नैनो सेंसर को डिवाइस में एकीकृत किया गया है। मॉनिटरिंग बॉक्स को स्थापित करने के उपरांत यदि आवश्यक हो तो पानी के नीचे निगरानी के लिए डुबोया जाता है। जल गुणवत्ता निगरानी तंत्र का उपयोग करके डेटा एकत्र किया जाता है, उसे नियंत्रक द्वारा प्रबंधित किया जाता है, और विश्लेषण के लिए संग्रहीत/संचारित किया जाता है। यहां डिवाइस सुरक्षित डेटा ट्रैकिंग के लिए ब्लॉक चेन तकनीक का उपयोग करता है। पर्यावरण निगरानी डेटा को पहले नोड द्वारा एकत्र किया जाता है, सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्ट किया जाता है, और एक नए ब्लॉक में जोड़ा जाता है। ब्लॉक को अन्य नोड्स पर प्रसारित किया जाता है, तथा प्रामाणिकता और दक्षता के अनुसार सत्यापित किया जाता है, और सर्वसम्मति की पुष्टि एक पूर्वनिर्धारित एल्गोरिदम का उपयोग करके की जाती है। दूसरा नोड पहले नोड द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार नए जोड़े गए ब्लॉक को संग्रहीत करता है। पोर्टेबल पर्यावरण निगरानी बॉक्स, फेरिक ऑक्साइड नैनो सेंसर और ब्लॉक चेन तकनीक का यह संयोजन पर्यावरणीय डेटा निगरानी और ट्रैकिंग के लिए एक व्यावहारिक और सुरक्षित समाधान प्रदान करता है, जिससे दक्षता और विश्वसनीयता बढ़ती है।

इसके उपयोग पर्यावरण निगरानी के लाभ, पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच संबंधों को उजागर करके समाज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता में निहित हैं। पर्यावरण निगरानी का सबसे महत्वपूर्ण लाभ वातावरण में वायु प्रदूषकों की उपस्थिति के रुझान और पैटर्न को देखना और उनका विश्लेषण करना है ।

डॉ सक्सेना ने यह रिसर्च बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मेसरा, झारखण्ड के प्रोफेसर शशांक पुष्कर के साथ मिलकर तैयार  किया है ।

कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव श्री प्रज्वल खरे, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एस के मिश्रा, निदेशक प्रोफेसर संदीप कुमार तिवारी ने डॉ सक्सेना की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।

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