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कश्मीर के शैव दर्शन के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन संभव है – कुलपति प्रो पांडेय

  • मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के कई पक्षों को उद्घाटित करता है शैव दर्शन - कुलपति प्रो मेनन
  • समरसता और आनंदवाद पर बल देता है कश्मीरी शैव दर्शन – प्रो शर्मा 
  • कश्मीरी शैव दर्शन के विविध पक्षों और प्रभाव  पर केंद्रित एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा कश्मीर शैव इंस्टिट्यूट, जम्मू एवं कश्मीर के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन वाग्देवी भवन स्थित हिंदी अध्ययनशाला में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन, मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, जम्मू कश्मीर से आए विद्वान श्री देवेंद्र मुंशी, श्री आर एल बिंद्रा, नई दिल्ली, श्री रमेश कौल, श्री अनिल बख्शी जम्मू, श्री अशोक धर,  प्रो गीता नायक, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा आदि ने विषय के विभिन्न पक्षों पर  विचार व्यक्त किए। 

कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि भारतीय दृष्टि आध्यात्मिक है। कश्मीर के शैव दर्शन के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन संभव है। कश्मीरी शैव दर्शन में उथले भौतिकवादी सोच से मुक्ति की राह मिलती है। कश्मीर के शैव दर्शन को युवा पीढ़ी के मध्य सरल भाषा में पहुंचाने की आवश्यकता है। इससे युवा भटकाव से बचेंगे। गीता का दर्शन कर्म की महिमा को प्रतिष्ठित करता है। 

कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन ने कहा कि दर्शन आनंददायी होता है। कश्मीर का शैव दर्शन इसी दृष्टि से आनंदप्रद है। कश्मीर के शैव दर्शन सहित भारत के विभिन्न दर्शनों में मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के कई पक्षों को उद्घाटित किया गया है। आचार्य अभिनवगुप्त ने सुदूर अतीत से आ रहे कश्मीर के शैव दर्शन की परंपरा को सम्मान दिलवाया। 

 

मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि कश्मीरी शैव दर्शन अद्वैतवादी है, जिसमें विषमता से मुक्ति और  समरसता एवं आनंदवाद पर बल दिया गया है। इस दर्शन की मान्यता है कि आनंद ही आत्मा का ऐश्वर्य है तथा सृष्टि का परम तत्व है। वह अनादि है, सनातन है, उसकी उत्पत्ति नहीं होती, अभिव्यक्ति होती है। यह दर्शन  इच्छा, ज्ञान और क्रिया के समन्वय को सर्वोपरि मानता है। विश्व भर की अनेक समस्याओं का समाधान इस दर्शन में अंतर निहित है। वर्तमान दौर में युद्ध, हिंसा और आतंक से ग्रस्त दुनिया को कश्मीर शैव दर्शन सार्थक दिशा दे सकता है। 

इंस्टीट्यूट के ट्रस्टी श्री देवेंद्र मुंशी जम्मू ने कश्मीरी शैव दर्शन के इतिहास, सिद्धांत तथा स्वामी श्री लक्ष्मण जू के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस दर्शन के माध्यम से जीवन में बोध ज्ञान उत्पन्न होता है। 

श्री आर एल बिंद्रा नई दिल्ली ने कश्मीर शैव दर्शन में अष्टांग योग की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शैव तंत्र में योग की विशिष्ट अवधारणा है, जिससे जीवन में व्यापक परिवर्तन संभव है। 

अशोक धर नई दिल्ली ने कहा कि कश्मीर का शैव दर्शन त्रिक दर्शन है। यह भारत की सनातन परंपरा से हमें जोड़ता है। समस्त प्रकार के भेदभाव से मुक्त करते हुए यह हमें मानवतावादी और तार्किक बनता है। 

प्रो गीता नायक ने कहा कि कश्मीरी दार्शनिक आचार्य अभिनवगुप्त ने काव्यशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लोक निरीक्षण, शास्त्र परिशीलन और काव्य परंपरा के ज्ञान से कोई भी व्यक्ति प्रतिभा सम्पन्न हो सकता है।

इस अवसर पर कश्मीर शैव इंस्टिट्यूट, जम्मू एवं कश्मीर और ईश्वर आश्रम ट्रस्ट, श्रीनगर की ओर से प्रबंध मंडल के सदस्यों द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा को कश्मीरी शैव दर्शन के महत्वपूर्ण ग्रन्थ अर्पित कर उनका सम्मान किया गया। 

आयोजन में अतिथियों द्वारा जम्मू कश्मीर के विद्वान श्री देवेंद्र मुंशी, श्री आर एल बिंद्रा को शॉल एवं मौक्तिक माल अर्पित कर उनका सम्मान किया गया।   

आरंभ में अतिथियों द्वारा वाग्देवी तथा शैवाचार्य स्वामी श्री लक्ष्मण जू के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन किया गया। जम्मू कश्मीर से आईं श्रीमती विजयलक्ष्मी तथा श्रीमती निर्मला भान ने गुरु वंदना प्रस्तुत की। 

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी एवं ललित कला अध्ययनशालाओं द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में कश्मीरी शैव दर्शन से सम्बंधित  पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। कश्मीरी शैव दर्शन पर केंद्रित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ शैलेंद्र कुमार भारल, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा, श्री संतोष सुपेकर, श्री कमल जोशी, श्री आर एल पीर, जम्मू आदि सहित जम्मू कश्मीर से आए अनेक सुधीजन, साहित्यकार, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। 

संचालन ललित कला विभागाध्यक्ष प्रो जगदीश चंद्र शर्मा किया। आभार प्रदर्शन प्रो गीता नायक ने किया।

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