Skip to main content

जीवन में गुणात्मक परिवर्तन की संभावनाएं बढे - प्रोफेसर डॉ. अमरेश श्रीवास्तव

उत्कृष्ट जीवन के लिए मानसिक शक्ति का विकास" विषय पर केंद्रित विशेष कार्यशाला एवं परिचर्चा सम्पन्न 

उज्जैन । भावनात्मक प्रधान व्यक्तियों की उपस्थिति भी समाज के विकास के लिए निहायत जरूरी है। समाज में विकृतियों को दूर करने की आज अत्यंत आवश्यकता है। भावनात्मक विचारों को नियंत्रित करना हमेशा आवश्यक नहीं है। मानसिक मजबूती के साथ शारीरिक हीन भावना की प्रवृत्तियों से भी बचना चाहिए। उक्त विचार मानसिक शक्ति के चेयरपर्सन एवं वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, कनाडा में मनोचिकित्सा विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अमरेश श्रीवास्तव ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के शलाका दीर्घा में उत्कृष्ट जीवन के लिए मानसिक शक्ति का विकास विषय पर आयोजित कार्यशाला एवं परिचर्चा में व्यक्त किए।

भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2017 की रिपोर्ट्स बहुत प्रासंगिक दस्तावेज है। विद्यालय एवं विश्वविद्यालय को भी इससे संबंधित शोध कार्यों को बढ़ावा देना होगा। डिप्रेशन , डिसऑर्डर, नशे, एक्टिव पेसिन, नकारात्मक विचारों के साथ दिन-ब दिन मस्तिष्क में भ्रमण करते रहते हैं। लर्निंग डिसेबिलिटी के साथ-साथ मानसिक शक्ति के विभिन्न तत्वों का भी कूट गहन अध्ययन आज जरूरी है। माता-पिता का अलगाव, वात्सल्य का अभाव, निरंतर होने वाली सामाजिक गतिविधियों में अनुपस्थित सामाजिक संप्रेषण की कमी की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

कार्यशाला के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत एवं अतिथि परिचय विक्रम विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन संकायाध्यक्ष आचार्य डॉ. कामरान सुल्तान ने दिया। आपने अतिथि विद्वान के बृहद परिचय वृत्त को प्रस्तुत करते हुए कनाडा से पधारे प्रो. अमरेश द्वारा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए संचालित एक मिशन प्रोजेक्ट "स्टूडेंट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम" के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विक्रम विश्वविद्यालय के विद्वान कुलपति प्रोफेसर डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय ने कार्यशाला आयोजन की अवधारणा और महत्व को प्रतिपादित करते हुए साईकेटरी पाठ्यक्रम को विद्यार्थी मनोविज्ञान के पाठ्यक्रमों की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। आपने मानव शरीर में उत्पन्न विभिन्न हारमोंस की अवधारणाओं को भी रेखांकित किया।

प्रो. अमरेश के विचार में मानव कल्याण एवं जीवन सुधार कौशल, रोकथाम, आहार एवं योग विज्ञान के साथ-साथ सोचने समझने की शक्ति, मनोवैज्ञानिक खतरों को पहचानने की आज अत्यंत आवश्यकता है। आत्म निरीक्षण के साथ-साथ देखना, सुनना, समझना एवं बायोलॉजिकल गुणात्मक कारकों को भी महत्व देना होगा। प्रो. अमरेश ने कार्यशाला के अंतिम सत्र में एक दर्जन से अधिक रोचक प्रश्नों का उत्तर देते हुए परामर्श एवं समाधान भी बताया।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर डॉ. एस.के. मिश्रा विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. उमा शर्मा, कंप्यूटर विज्ञान के विशेषज्ञ एवं सूचना प्रौद्योगिकी के संकायअध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार सिंह,  संकायअध्यक्ष प्रो. सोनल सिंह, प्रो.अचला शर्मा, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी अध्ययनशाला, डॉ. नलिन सिंह पंवार विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान, डॉ. निश्चल यादव, श्री राकेश खोती, डॉ. विष्णु सक्सेना, व्यवसाय प्रबंध संकाय के शोधार्थी, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के अन्य समस्त विभागों एवं महाविद्यालयों से पधारे  विद्यार्थी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ धर्मेंद्र मेहता निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान द्वारा किया गया एवं आभार विद्यार्थी कल्याण संकायध्यक्ष प्रो. एस के मिश्रा द्वारा किया गया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं