उज्जैन। रसायन एवं जैवरसायन अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में प्रसिद्ध शोध वैज्ञानिक डॉ. आनंद वर्धन का ‘‘एक्टिव फार्मास्यूटिकल दवाइयों की प्रोसेस डेवलपमेंट’’ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ । कार्यक्रम की रूपरेखा विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष डॉ. उमा शर्मा ने प्रस्तुत की ।
कार्यक्रम में माननीय कुलपति एवं वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय ने शोध, शोध के महत्व एवं विभिन्न वैज्ञानिक शोधों की उत्पत्ति को रोचक घटनाओं के माध्यम से बताया । आपने विद्यार्थियों और शोधार्थियों को कहा कि विविधताओं के देश भारतवर्ष में शोध के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, विशेष रूप से नेचुरल प्रोडक्ट से दवा उत्पादन एवं प्रोसेसिंग में। क्योंकि भारत में पेड़ पोधों और सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातीय पाई जाती है जो कि अधिकतम दवाओ में प्रयुक्त होती है। विद्यार्थियों की यह जिम्मेदारी है कि विषय का गहन अध्ययन करें, प्रयोग से विश्लेषण एवं पहचान करें जिससे कि भारतीय ज्ञान का उपयोग समाज कल्याण में हो सके।
श्रीनिवास फार्माकेम के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड डॉ. आनंद वर्धन ने पेटेंट, जेनेरिक मेडिसिन, प्रोसेस और निर्माण और दुनिया की भारत पर निर्भरता आदि के बारे में बताया। आपने कहा कि कैसे कोई भी नई दवाई के उत्पादन की प्रक्रिया होती है। उसके विभिन्न पैरामीटर, शुद्धता, मूल्य, सरलता से उपलब्धता, उपयोगिता एवं मानव पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है जिसमें समय, मेहनत, धन के साथ-साथ विशिष्ट ज्ञान एवं मार्गदर्शन की भी आवश्यकता होती है। आपने सारगर्भित तरीके से गहन शोध को समझाया और साथ ही विभिन्न प्रश्नों का समाधान भी किया। फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश दशोरा ने अपने ज्ञान एवं अनुभव के माध्यम से दवा उत्पादन के दौरान आने वाली चुनौतियों को बताया। और विद्यार्थियों को क्षेत्रीय रोजगार हेतु स्वयं को तैयार करने सम्बन्धी जानकारी दी।
कार्यक्रम में भौतिकी के विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. स्वाति दुबे, फार्मेसी संस्थान तथा रसायन एवं जैव रसायन अध्ययनशाला के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दर्शना मेहता ने किया एवं आभार डॉ. अंशुमाला वाणी ने माना।
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