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सभी लोगों का योगदान रहा है विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना में – कुलपति प्रो पांडेय

विक्रम विश्वविद्यालय का आधारशिला दिवस उल्लासपूर्ण ढंग से मनाया गया

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का आधारशिला दिवस कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, बुधवार, विक्रम संवत् 2080 तदनुसार दिनांक 1 नवम्बर 2023 को प्रातः 11 बजे उल्लासपूर्वक मनाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में सम्राट विक्रमादित्य के मूर्ति शिल्प पर स्वस्ति वाचन के साथ जलाभिषेक एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात कार्यपरिषद कक्ष में सम्राट विक्रमादित्य और उनके नवरत्नों एवं शलाका दीर्घा सभागार में विश्वविद्यालय के शलाका पुरुषों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विशिष्ट अतिथि कुलसचिव श्री प्रज्वल खरे एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए।  

शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना और विकास में सभी लोगों का योगदान रहा है। विद्याप्रेमी सम्राट विक्रमादित्य के नाम से जुड़े होने का गौरव विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सभी लोगों को होना चाहिए। विक्रमादित्य और उनके नवरत्नों के योगदान को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा। न्याय व्यवस्था, सैन्य शक्ति, प्रशासन, संस्कृति आदि के क्षेत्र में विक्रमादित्य द्वारा किए गए कार्यों पर शोध एवं अध्ययन को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह विश्वविद्यालय दुनिया के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों में सम्मिलित हो, इसके लिए सभी के व्यापक प्रयास जरूरी हैं।

कुलसचिव श्री प्रज्वल खरे ने कहा कि युवाओं को इस देश और विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास जानना चाहिए। आधारशिला दिवस हमें इस विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत और स्थापना में योगदान देने वाले शलाका पुरुषों का स्मरण कराता है।

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि हम विश्वविद्यालय को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध हों। प्राचीनतम विश्वविद्यालय के रूप में उज्जयिनी का विश्वविद्यालय रहा है। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनेक सहस्राब्दियों से उज्जैन शिक्षा प्राप्त करने के लिए उत्कंठित विद्यार्थियों को आकर्षित करता आ रहा है। आजादी के आंदोलन के समानांतर उज्जैन में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये वातावरण बनने लगा था, जिसमें पद्मभूषण पं सूर्यनारायण व्यास जैसे मनीषियों और गणमान्य जनों की अविस्मरणीय भूमिका रही है। आजादी मिलने के बाद यह सपना साकार हुआ और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी विक्रम संवत 2013 तदनुसार 23 अक्टूबर, 1956 को विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी।

आयोजन में डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा, प्रो उमेशकुमार सिंह, प्रो धर्मेंद्र मेहता, प्रो अनिल कुमार जैन, प्रो दीनदयाल बेदिया, प्रो ज्योति उपाध्याय, उप कुलसचिव डॉ डी के बग्गा, डॉ शैलेंद्र भारल, प्रो धर्मेंद्र मेहता, प्रो स्वाति दुबे,  डॉ संदीप तिवारी, डॉ राज बोरिया, डॉ संग्राम भूषण, डॉ वीरेंद्र चावरे, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ निश्छल यादव, श्री कमल जोशी, श्री राजू यादव, श्री शरद दुबे, श्री विपुल मईवाल आदि सहित अनेक शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।

 

प्रारम्भ में कार्यक्रम की भूमिका विक्रम विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने प्रस्तुत की। आभार प्रदर्शन प्रो उमेशकुमार सिंह ने किया। सम्राट विक्रमादित्य के मूर्ति शिल्प के समक्ष स्वस्तिवाचन डॉ महेंद्र पंड्या, डॉ गोपाल कृष्ण शुक्ल, पं अमित पाराशर, पं मयंक शर्मा ने किया।

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