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जैव प्रौद्योगिकी की तकनीकों का उपयोग कर पशु चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति लायी जा सकती है - कुलपति प्रो पांडेय

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय वेटिनरी साइंस एवं एनिमल हसबैंडरी महाविद्यालय महू में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित 

उज्जैन। दिनांक 6 अक्टूबर को विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय को वेटिनरी साइंस एवं एनिमल हसबैंडरी महाविद्यालय महू में "बायोटेक्नोलॉजिकल एडवान्समेंट लाइफ स्टॉक एंड एनिमल हसबैंडरी" विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित किया गया। 


विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि बायोटेक्नॉलॉजिकल तकनीकों के प्रयोग से पाशुपालन विज्ञान एवं चिकित्सा के क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ है। इन तकनीकों के इस्तेमाल से पशु सम्बंधित रोगों का पता लगाने एवं उन्हें ठीक करने के तरीके ढूँढने में काफी मदद मिली है। 

अपनी बात को बढ़ाते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी और उससे संबंधित तकनीकों की जानकारी भारत में प्राचीन काल से रही है, आज भी विश्व में वहीं तकनीक परिचालित है जो हमारे वेदों, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों का प्रमुख अंग थी। 

उन्होंने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी की तकनीकों के उपयोग से पशु में कई बदलाव जैसे उससे प्राप्त दुग्ध उत्पादन में वृद्धि आदि की जा सकती है, यही नहीं  जैव प्रौद्योगिकी की तकनीकों का उपयोग कर पशु और जानवर में रोग प्रतिरोध क्षमता आदि भी पैदा की जा सकती हैं और जानवरों को बायोरिएक्टर की तरह उपयोग में भी लाया जा सकता है। 

माननीय कुलपति जी ने कहा कि पशु चिकित्सा एवं पशु पालन जैसे विषयों का जैव प्रौद्योगिकी जैसे विषय से समन्वय पूरे समाज और समाज की कृषि एवं पशु पालन व्यवस्था दोनों के लिए हितकारी है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने इस महत्वपूर्ण व्याख्यान के लिए कुलपति जी को बधाई दी।


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