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श्री वाजपेई का कानपुर में अभिनंदन, पदाधिकारीयों में हर्ष

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के मार्गदर्शक, वरिष्ठ साहित्यकार हिन्दी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी एवं 2 सदस्यों का कानपुर में हुआ भव्य स्वागत-काव्य गोष्ठी में गूँजे उनके गीत

भाषायी एकता की साहित्यिक संस्था हिंदी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी का कानपुर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं ने भव्य स्वागत किया। कान्य कुब्ज मंच हिंदी त्रैमासिक पत्रिका के संस्थापक कीर्ति शेष आचार्य पं. बालकृष्ण पाण्डेय की जन्म शताब्दी अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्री वाजपेयी का संस्था द्वारा शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र देकर पं. अजय शुक्ल मुंबई, डॉ. संजय द्विवेदी भोपाल, श्री शिवशंकर अवस्थी लखनऊ, पं. अरुण शुक्ल रायपुर, डॉ. डी.एस. शुक्ल लखनऊ संपादक कान्य कुब्ज वाणी एवं कान्य कुब्ज पत्रिका के संपादक पं. आशुतोष पाण्डे ने सम्मान किया। श्री वाजपेयी ने इस अवसर पर सारगर्भित उद्बोधन भी दिया। इसी मंच पर हिंदी परिवार इंदौर के 2 सदस्य डॉ. मुकेश दुबे एवं पं. रामचंद्र दुबे को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में देश के कई शहरों के वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित थे। 

हिंदी परिवार उज्जैन के संयोजक डॉ प्रभु चौधरी  ने बताया कि दिनांक 09 अक्टूबर को कानपुर की साहित्यिक संस्था विद्योत्तमा फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित काव्य गोष्ठी और सम्मान समारोह में श्री वाजपेयी का भव्य अभिनंदन किया गया। संस्था के महासचिव श्री अशोक बाजपेयी ने अतिथि परिचय दिया। प्रस्ताव साहित्यिक संस्था के अध्यक्ष श्री कैलाश वाजपेयी, स्वैच्छिक दुनियाँ के संपादक डॉ. राजीव मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश अवस्थी एवं अन्य साहित्यकारों ने शॉल, हार एवं स्मृति चिन्ह देकर श्री वाजपेयी का भावभीना अभिनंदन किया। इस अवसर पर इन कवियों के अलावा उदय नारायण उदय श्री धीरपाल सिंह, डॉ. जयप्रकाश प्रजापति, श्री अक्षत व्योम आदि ने भी काव्य पाठ किया। अतिथि कवि हरेराम वाजपेयी के गीत ‘‘कैसे मैं लौट जाऊँ’’, ‘‘सारा सागर तुम रख लेना’’ और ‘‘राह तेरी रही’’ खूब सराहे गये। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कानपुर के वरिष्ठ गीतकार श्री लोकेश शुक्ल ने की। संचालन हास्य व्यंग्य के कवि श्री चक्रधर शुक्ल, अध्यक्ष बाल साहित्य संस्था ने किया। अंत में आभार संस्था अध्यक्ष सुपरिचित बाल साहित्यकार डॉ. अजीत सिंह राठौर ने व्यक्त किया। करीब 3 घंटे चले इस साहित्यिक अनुष्ठान में श्रोताओं ने जहाँ विविध विषयों की रचनाओं का आनंद लिया, वहीं उन्हें इंदौर की श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति एवं देश की प्राचीनतम पत्रिका ‘वीणा’ के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

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