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हिंदी एक भाषा ही नही, अपितु भारत का इतिहास, सांस्कृतिक आधार एवं सम्मान है - कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डेय

अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित एवं सारस्वत सम्मान से सम्मानित 

उज्जैन: केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी भाषा का आधुनिकीकरण और विस्तार विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। 

अपने वक्तव्य में प्रोफेसर पाण्डेय ने कहा कि हिंदी एक भाषा ही नहीं, अपितु भारत का इतिहास, सांस्कृतिक आधार एवं सम्मान है। उन्होंने कहा कि हिंदी न होती तो भारत की गौरव गाथा भी न होती, भारत सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भी ना होता, संस्कारों से हमारा परिचय भी ना होता। हिंदी हमारे एक दूसरे से संपर्क करने का माध्यम है, साहित्य रचने का और समाज को साहित्य से जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी है। हिंदी ही है जो, भारत की विविधिता को एकता के रूप में परिभाषित करती है। 

अपनी बात को बढ़ाते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा से बेहतर भावनात्मक विकास होता है, इसमें ब्रेन ड्रेन कर के ब्रेन गैन होता है। उन्होंने कहा कि आजकल कई जगहों पर हिंदी का प्रयोग करना पिछड़ेपन की निशानी मान लिया जाता है पंरतु हिंदी में जो अपनापन और आत्मीयता है वह किसी भाषा में नहीं है। इस भाषा में अपने भाव व्यक्त करने वाले कई गूढ़ लोक गीत, कविताएं, दोहे और चौपाई है जिनका उपयोग यदि सही तरीके से किया जाए तो यह बात को और प्रभावशाली बना देते हैं। 

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रोफेसर खेमसिंह डहेरिया ने कुलपति प्रोफेसर पांडेय को शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कुलपति प्रोफेसर पांडेय को इस महत्वपूर्ण सम्मान के लिए बधाई दी। 

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