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इमर्जिंग ट्रेंड्स इन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विषय पर नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन सम्पन्न

उज्जैन। स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में  इमर्जिंग ट्रेंड्स इन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन  किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर सरस्वती वंदना के साथ हुआ। तत्पश्चात विश्वविद्यालय का कुलगान प्रस्तुत किया गया| सभी अतिथियों का पुष्प मालाओं से स्वागत किया गया। 

राष्ट्रीय संगोष्ठी डॉ वीरेंद्र कुमार, निदेशक,  डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन, मध्य प्रदेश शासन भोपाल के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय डॉक्टर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री प्रज्वल खरे कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। कार्यक्रम में स्वागत भाषण निदेशक प्रो संदीप कुमार तिवारी द्वारा दिया गया।  उन्होंने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए बताया कि डॉ वीरेंद्र कुमार डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन मध्य प्रदेश भोपाल ने भी इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में बहुत नवाचार किया है।

इसके पश्चात कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा द्वारा अपने उद्बोधन में इंजीनियरिंग के नए आयामों को अपने दैनिक जीवन में महत्व के बारे मे समझाया गया।

समन्वयक डॉ विष्णु कुमार सक्सेना द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि जहां तक सम्मेलन के विषय "इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में उभरते रुझान" का सवाल है, यह समय की मांग है। जैसा कि हम जानते हैं, हम इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के युग में रह रहे हैं। हम ज्ञान समाज के सदस्य इस युग में आईटी और कंप्यूटर समर्थित अनुप्रयोगों और सेवाओं के बिना इस ज्ञान समाज में जीवित रहने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।एक इंजीनियर के कंधों पर जबरदस्त तकनीकी संसाधन सौंपने और बनाने की बड़ी जिम्मेदारी होती है, जिसका हमारी सामाजिक और आर्थिक संरचना पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस वजह से, इंजीनियरिंग संस्थान समाज के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में उभरते रुझानों पर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, कंप्यूटर विज्ञान, कृषि इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग के अन्य पहलुओं में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और विद्यार्थियों को एक साथ लाना है। इसलिए, हमें उभरती प्रौद्योगिकियों की पहचान करने की आवश्यकता है, जिनका हमारे काम और शिक्षा पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। यह संगोष्ठी युवा शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को नवीनतम तकनीकी विकास को साझा करने और सीखने के लिए एक सुविधाजनक मंच प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

डॉ वीरेंद्र कुमार, निदेशक,  डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन, द्वारा बताया गया कि इंजीनियरिंग आज के आधुनिक जीवन की अति महत्वपूर्ण इकाई है। उनका भाषण व्यावहारिक ज्ञान से भरा रहा और सभी छात्रों को हमेशा जिज्ञासु रहने का संदेश मिला।

कुलपति डॉ अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा बताया गया कि इमर्जिंग ट्रेंड्स की तरह हमें अपने पुरातन समय के इंजीनियरिंग पर भी ध्यान देना चाहिए, हमारे ऋषि मुनि के द्वारा दिए प्राचीन  उपनिषद में कई आविष्कारों, खोजों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसे हमें आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन शिक्षा को भी महत्व देना चाहिए, प्राचीन समय की इंजीनियरिंग अति महत्वपूर्ण थी उसे आज के स्वरूप में विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए। 


उद्घाटन सत्र में कांफ्रेंस प्रोसीडिंग के प्रकाशन का विमोचन माननीय अतिथि गणों द्वारा किया गया।


संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में प्रथम मुख्य वक्ता के रूप में इंजीनियर के के शुक्ला, हेड इंजीनियरिंग, हेड, फायर एंड सेफ्टी, ईटीपी, अरीबा फूड्स प्राइवेट लिमिटेड,उज्जैन, जो कि वर्तमान में, मध्य प्रदेश की एक अग्रणी फ्रोजन फूड कंपनी है, ने कम्पनीओ में किस प्रकार से समस्याओ का निवारण बेहद ही अत्याधुनिक  तरीको से किया जाता है इस बारे में विस्तार से बताया। 

द्वितीय मुख्य वक्ता विजय मंत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी  दीपक जैन ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए आह्वान किया कि इंजीनियरिंग के साथ साथ विभिन्न प्रकार से अपने आपको प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। 

इस सत्र के बाद एक पेपर प्रेजेंटेशन सत्र किया गया। इसमें विद्वानों ने हीट, डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलुओं पर विचारों को साझा किया।

संगोष्ठी के अंतिम सत्र में विभिन्न शोधकर्ताओं को प्रमाण पत्र वितरित किये गए। कार्यक्रम का सञ्चालन प्रो कंचन थूल ने तथा आभार प्रदर्शन मोहित कुमार प्रजापति द्वारा किया गया | इस अवसर पर समस्त शिक्षक, स्टाफ सहित विश्वविद्यालय की कई अध्ययनशालाओं के विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

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