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हिन्दी वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में विशेष पहचान बनाने में सफल हुई

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस समारोह सम्पन्न

नागदा - हिन्दी ने अपनी यात्रा में कई महापुरूषो को भारतीय चिन्तन धारा से जोड़ते हुए संस्कृति की संकल्पना को मूर्तरूप देते हुए साहित्य के क्षेत्र में भारतेन्दु युग से लेकर वर्तमान युग तक की यात्रा में जो कुछ घटा सबका सब भाषा साहित्य, कला शिल्प और परम्परा से लेकर विज्ञान, मूल्य, शिक्षा और दर्शन तक कि जानकारी हिन्दी द्वारा देशवासियों को समय-समय पर मिलती रही है। संस्कृति की आधार भूमि को प्राणवान बनाने में हिन्दी का विशेष सहयोग रहा है। इसी कारण आज हिन्दी वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में विशेष पहचान बनाने में सफल हुई है। ये उद्गार हिन्दी प्रचार सेवा समिति द्वारा 14 सितम्बर राष्ट्रीय हिन्दी दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित हिन्दी के विकास से बढेगा देश का गौरव विषय पर विचार संगोष्ठी में हीरो होण्डा शोरूम महिदपुर रोड के सभागृह में अतिथि वक्ता सुन्दरलाल जोशी सूरज ने राजेन्द्र कांठेड की अध्यक्षता व लायन कमलेश जायसवाल के मुख्यातिथ्य में व डॉ. प्रभु चौधरी के विशेषातिथ्य में रखे। मुख्य अतिथि लायन कमलेश जायसवाल ने अंग्रेजी विद्यालय द्वारा संस्कृति का हृस हो रहा है, नैतिक गुण समाप्त हो रहे है इस पर समाज की क्या मजबूरी रही ? अंग्रेजी विद्यालय में बच्चो को पढ़ाना गर्व समझा जा रहा है, जो राष्ट्र के लिये घातक है। हिन्दी को अपने हृदय में स्थान दे मेरे गुरू सत्यार्थीजी हिन्दी सेवा के लिये नगर के लिये ही नहीं भारत के लिये जो 1990 से हिन्दी दिवस मनाते आ रहे है, बधाई के पात्र है।

इसी क्रम में सुश्री वन्दना व्यास ने काव्यात्मक शैली में अंग्रेजी के जाने के बाद भी भारत में अग्रेंजी का मोह काले अंग्रेजो में जो दिया वह दिखाई दे रहा हैं राष्ट्र की कितना लाभदायी है क्रान्तिकारी विचार रखे। डॉ. प्रभु चौधरी महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने वक्तव्य मे भारत कहो इण्डिया नहीं विषय पर वर्तमान सरकार की कार्यप्रणाली की प्रशंसा  करते हुए विश्व के महाविद्यालयों में हिन्दी को पढाना भारत में व्यापार को महत्व देने हितार्थ सरकार की बहुत बडी जीत है आने वाले समय में हिन्दी विश्व की भाषा होगी विचार रखे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ गायत्री मंत्र के साथ हुआ। पश्चात् समिति संरक्षक हनुमानसिंह शेखावत ने समिति ध्वज को अतिथियों के हाथो में देकर वेद मंत्रो से ध्वज स्थापित किया। ध्वज वन्दना सुन्दरलाल उपाध्याय कोकिल ने की। पश्चात् अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित किया। पश्चात् बाल कलाकारो 6 व 7 वर्षीय केशव भाट व लीना भाट ने संस्कृत में देशभक्ति व मानव मूल्यों से संबंधित गीत की सरस प्रस्तुति दी। अतिथि परिचय डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने दिया। स्वागत भाषण हनुमानसिंह शेखावत ने दिया।

अतिथियो का स्वागत गोपाल सुनेरिया, हीरालाल प्रजापत, तुलसीराम शर्मा, हरचरणसिंह चावला, अशोक गौर, मदन मस्ताना, के सी पुरोहित, ओम कडलुआ, श्रीमती ममता पोरवाल, वन्दना राठी, पूनम पोरवाल, शारदा परिहार ने किया।

अन्त में अध्यक्षीय उदबोधन में राजेन्द्र कांठेड ने हाल ही दुबई यात्रा में हिन्दी संबंधी संस्मरण सुनाए। व हिन्दी महिमा पर सरस गीत पढा। अतिथियो को समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किये गये। संचालन डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने किया एवं आभार कैलाश खनार ने माना। शांतिपाठ एवं स्वल्पाहार के साथ विचार संगोष्ठी सम्पन्न हुई।

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