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सर्व समावेशी, समर्थ और सार्वदेशीय भाषा है हिंदी - डॉ. शर्मा

हिंदी में राष्ट्रभाषा की शक्ति एवं सामर्थ्य पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न 

हिंदी सप्ताह समापन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी  हिंदी में राष्ट्रभाषा की शक्ति एवं सामर्थ्य के संदर्भ में केंद्रित थी।संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय,  उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा  ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि आम नागरिक, किसानों और मजदूरों के प्रयोग की वस्तुओं में हिंदी में लिखा होना चाहिए। राष्ट्रभाषा की दृष्टि से हिंदी सशक्त एवं सामर्थ्यवान है। यह राष्ट्र की भूमि, जन और उनकी संस्कृति की संवाहिका है। बिना राष्ट्रभाषा और संस्कृति के कोई भी देश पूर्ण स्वतंत्र और आत्मनिर्भर नहीं कहला सकता है।   

अध्यक्षीय भाषण में डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री , नागरी लिपि परिषद्,  नई दिल्ली ने कहा कि अब सर्वोच्च न्यायालय में हिंदी का प्रयोग होगा और चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा भी हिंदी में दी जाएगी।

मुख्य अतिथि श्री बृज किशोर शर्मा , उज्जैन, पूर्व शिक्षा अधिकारी एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा हिंदी भाषा राष्ट्रभाषा हो, इसे जनजागरण का विषय  बनाना चाहिए।

विशिष्ट वक्ता डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख,  पुणे , कार्यकारी अध्यक्ष , नागरी लिपि परिषद,  मुख्य संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि हिंदी भारतीय ज्ञान परंपरा का वहन करने वाली भाषा है।

डॉ. सुंदरलाल जोशी,  नागदा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि हमारे भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होनी चाहिए।

डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन, राष्ट्रीय महासचिव,  राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना  ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी का मान बढ़ाएं और हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करें। 

श्रीमती रजनी प्रभा, पटना ने कहा कि हर्ष की बात होगी कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाए। राष्ट्रीय सचिव बबीता मिश्रा, सारंगपुर ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग कर रही हैं। डॉ. मीना अग्रवाल,  अमरोहा ने कविता सुनाई कि कोई तो आवाज उठाओ , संग हमारे कसम खाओ।  डॉ.प्रतिभा स्मृति,  दरभंगा , बिहार ने कहा कि राष्ट्रभाषा देशवासियों के मूल्यों को समान रूप से अंगीकार करती हैं।

डॉ. निशा शर्मा,  बरेली , उत्तर प्रदेश ने कहा - भाषा में चेतना होती है। श्रीमती उषा गरेहवाल ने कहा- विदेशों में भी हिंदी को बोलने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ. नागनाथ भिड़े, कर्नाटक ने कहा- हम अहिंदी होकर भी हिंदी के चेले हैं। श्रीमती विद्या भारती,  तमिलनाडु ने कहा- दक्षिण में हिंदी को सभी सीखना और बोलना चाहते हैं।

डॉ. शहेनाज शेख राष्ट्रीय उप महासचिव ने कहा - सभी हिंदी भाषा के लिए गौरव महसूस करते हैं । अंकित शर्मा ने कहा - कंप्यूटर पर हिंदी भाषा आसान है । कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अरुणा सराफ,  इंदौर की सरस्वती वंदना से हुआ। प्रस्तावना श्रीमती रजनी प्रभा पटना राष्ट्रीय सचिव ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन ने दिया।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. रश्मि चौबे , गाजियाबाद, उपाध्यक्ष, महिला इकाई राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने  एवं आभार शैली भागवत ने माना । कार्यक्रम में नॉर्वे से श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ,  डॉ कारूलाल जमड़ा, कृष्णा जोशी , सतीश, डॉ. प्रतिभा स्मृति , दरभंगा, श्वेता मिश्रा, पुणे , गरिमा गर्ग पंचकुला,  रचना भाटिया , सोनू वैश्य,  जयवीर सिंह,  मेघा तलपे, पूनम शर्मा , काशीरा , उर्मिला , मौसम कुमार ठाकुर , सोनू कुमार , शशि। निगम आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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