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समापन दिवस पर हुई नृत्य, गायन और वादन की रंजक प्रस्तुति

उज्जैनउज्जैन पुस्तक मेले की समापन सांस्कृतिक संध्या पर रात नौ बजे तक गायन, वादन एवं नृत्य की रंजक प्रस्तुतियाँ हुईं। रामचन्द्र गांगोलिया और उनके समूह द्वारा कबीरपंथी एवं लोकगीतों की प्रस्तुति की गई। वरिष्ठ सितार वादक श्री दिलीप फड़के एवं वायलिन वादक श्री अब्दुल हमीद लतीफ द्वारा जुगलबंदी की गई। उनके साथ तबले पर पं शैलेन्द्र भट्ट ने प्रभावी संगत की। उन्होंने शास्त्रीय संगीत के साथ भजन एवं सुगम वादन भी किया। प्रसिद्ध नृत्यांगना प्रतिभा रघुवंशी के निर्देशन में शास्त्रीय एवं लोक नृत्यों की प्रस्तुति हुई। स्नेहा गेहलोद एवं समूह द्वारा मालवी गायन किया गया।


प्रतिभा संगीत कला संस्थान, उज्जैन के कलाकारों ने प्रतिभा रघुवंशी के निर्देशन में गणेश वंदना, शिव पंचाक्षर, शंकर अति प्रचंड, घूमर एवं महारास की प्रस्तुति दी।

इसी सन्ध्या पर रामचंद्र गांगोलिया एवं समूह द्वारा गोविंदो गाया नहीं, तूने कई कमायो बावरा, मन लागो यार फकीरी में, ज़रा धीरे धीरे गाड़ी हांकों मेरे राम गाड़ी वाले की प्रस्तुति से श्रोताओं पर प्रभाव जमाया।


युवा कलाकार सुश्री स्नेहा गेहलोद एवं समूह द्वारा मालवी गायन किया गया। उन्होंने गणेश वंदना गोरखनाथ, गुजरी, जोगन बन जाऊंगी बैरागन बन जाऊंगी, सपनों में म्हारे परणी गया हो दीनानाथ का सम्मोहक गायन किया। उनके साथ प्रहलाद गेहलोत, राधे पारस, देवेंद्र विश्वकर्मा, शरद गेहलोद ने प्रभावी संगत की।


संचालन श्रीमती पद्मजा रघुवंशी ने किया।

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