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विविध रंगों की कविताओं और व्यंग्य से सजी पुस्तक मेले की समापन सन्ध्या

राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन दिवस पर हुआ प्रतिष्ठित रचनाकारों का रचना पाठ

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली दावा जिला प्रशासन, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, विक्रम विश्वविद्यालय, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय एवं अवन्तिका विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित छह दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले में साहित्यिक कार्यक्रमों की शृंखला में समापन दिवस पर प्रतिष्ठित रचनाकारों का रचना पाठ हुआ। इस सत्र में चार पीढ़ी के रचनाकारों ने हिंदी एवं मालवी कविता, लघुकथा एवं व्यंग्य पाठ किया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि श्रीराम दवे ने की। इस सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया उज्जैन थे। इन शाम वरिष्ठ कवि श्री अशोक भाटी, डॉ उर्मि शर्मा, डॉ पिलकेन्द्र अरोरा, डॉ पुष्पा चौरसिया, डॉ शशांक दुबे, डॉ राजेश रावल, उज्जैन, संतोष सुपेकर, संदीप सृजन, डॉ देवेंद्र जोशी, उज्जैन, डॉ हरीशकुमार सिंह, डॉ मोहन बैरागी, उज्जैन, श्रीमती सीमा जोशी एवं आशा गंगा प्रमोद शिरढोणकर ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया। 

डॉ शिव चौरसिया ने म्हारी कविता कविता कम है ज्यादा है जिंदगानी के माध्यम से श्रोताओं को प्रभावित किया। अशोक भाटी ने अपनी कविता के माध्यम से हिंदी को भारत माता के माथे की बिंदी के रूप में अभिव्यक्ति दी। उन्होंने सूरज का उजाला हूँ कविता के माध्यम से नई प्रेरणा भरी। डॉ पिलकेन्द्र अरोरा ने सम्मानों की जोड़ तोड़ पर व्यंग्य पाठ किया। डॉ मोहन बैरागी ने अपना सरस गीत सुनाया। डॉ राजेश रावल ने मालवी में गणपति वंदना प्रस्तुत की।  

डॉ देवेंद्र जोशी ने अपनी प्रतिनिधि कविता मुहावरों की राम राम के माध्यम से बहुप्रचलित मुहावरों के जरिए श्रोताओं पर प्रभाव डाला। शशांक दुबे ने अपने व्यंग्य बोतल से बड़ा बोतल का ढक्कन का पाठ किया। श्री संतोष सुपेकर, उज्जैन ने अपनी दो प्रतिनिधि लघुकथाओं का पाठ किया। डॉ हरीशकुमार सिंह ने संचालक से जुड़ी विडम्बनाओं पर व्यंग्य प्रहार किए। डॉ उर्मि शर्मा, डॉ पुष्पा चौरसिया ने स्त्री जीवन से जुड़ी कविताएं सुनाईं।  

श्रीमती सीमा जोशी ने सरस्वती वंदना से रचना पाठ सत्र की शुरुआत की। उन्होंने अपने मुक्तक भी सुनाए।

अतिथियों का स्वागत पुस्तक भेंट कर एनबीटी नई दिल्ली की ओर से सुश्री आकांक्षा ने किया। इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ हरिसिंह कुशवाह, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा आदि सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, गणमान्य नागरिक, प्रबुद्ध जन, शोधकर्ता और विद्यार्थी उपस्थित थे। रचना पाठ सत्र का संचालन डॉ मोहन बैरागी ने किया। स्वागत भाषण एवं आभार प्रदर्शन प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने दिया।

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