उज्जैन। उज्जैन पुस्तक मेले की तीसरी शाम बालमुकुंद माच मण्डली, जयसिंहपुरा द्वारा राजा भरतरी माच मंचित किया गया। मंडली के संचालक श्री घनश्याम बद्री पहलवान चौधरी, विजय मारोठिया, जयसिंहपुरा थे।
इस माच में भर्तृहरि अपनी रानी के साथ वन में शिकार करने जाते हैं। राजा एक शेर का शिकार करना चाहते हैं लेकिन शेर और शेरनी याचना करतें हैं कि शेर नहीं रहा तो सारा जंगल शेर विहीन हो जाएगा। तब राजा हिरण का शिकार करते हैं वहां एक ही हिरण होता है बाकी सब हिरणियां होती हैं। हिरण के मर जाने के बाद वे सब भी तड़प- तड़प कर मर जातीं हैं। राजा को यह श्राप देकर कि आपके रनिवास में भी रानियां आपके वियोग में तड़पेगी और प्राण त्याग देंगी। राजा संदेशा पहुंचाते हैं कि राजा मर गए हैं। ऐसा सुनकर रानी पिंगला विश्वास तो नहीं करती लेकिन अपने प्राण त्याग देती हैं। राजा को वैराग्य हो जाता है और वे गुरु गोरक्षनाथ से दीक्षा लेकर सांसारिक जीवन त्याग देते हैं।
इस अवसर पर कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने सम्मानित किया। कलाकारों का स्वागत प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ.विरुपाक्ष जड्डीपाल, डॉ.तुलसीदास परोहा, हफीज खान ने किया।
संचालन डॉ पांखुरी जोशी ने किया। आभार प्रदर्शन एनबीटी की ओर से आकांक्षा ने किया।
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