Skip to main content

मंत्रालय में "रामधुन एवं सर्वधर्म समभाव भजन" कार्यक्रम की शुरुआत

■ कार्यक्रम 28 सितम्बर तक अनवरत जारी रहेगा

■ यदि मांगों का निराकरण नहीं होता है तो मंत्रालय के समस्त अधिकारी/कर्मचारी 29 सितंबर से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर जाएंगे

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏

भोपाल। आज दिनांक 21 सितम्बर, 2023 को मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारियों की वर्षों से लंबित मांगों के निराकरण के लिए आन्दोलन के अगले चरण में मंत्रालय के संघ समूह द्वारा आव्हानित "रामधुन एवं सर्वधर्म समभाव भजन" कार्यक्रम की शुरूआत हो गई। रामधुन एवं भजन का कार्यक्रम दिनांक 28 सितम्बर, 2023 तक प्रत्येक कार्यदिवस में अनवरत जारी रहेगा। 

आज आयोजित रामधुन एवं भजन कार्यक्रम में म.प्र. विधानसभा कर्मचारियों की ओर से लोकप्रिय म.प्र. विधानसभा कर्मचारी संघ के संरक्षक और वरिष्ठ कर्मचारी नेता श्री रामनारायण आचार्य, संघ के अध्यक्ष श्री घनश्याम सिंह और विधि विभाग के अध्यक्ष श्री दीपक पगारे, सचिव श्री के.एल. पाण्डे एवं बड़ी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे ।

प्रेस नोट में म.प्र. मंत्रालय अजाक्स शाखा के महासचिव श्री एस.सी. ओसले एवं म.प्र. सचिवालयीन कर्मचारी संघ के सचिव श्री टी.पी. पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि, मंत्रालय के आंदोलन की शुरुआत 25 अगस्त को विशाल आम सभा एवं रैली से हुई थी। इसके पश्चात दिनांक 11 सितम्बर 2023 को पुनः विशाल आम सभा एवं रैली हुई जिसने पूरे मंत्रालय की परिक्रमा की थी । 

मंत्रालय के अधिकारी/कर्मचारी अपनी वर्षों पूर्व मांगों की पूर्ति नहीं होने से काफी आक्रोशित हैं। आज सुबह से मंत्रालय, विधानसभा एवं विधि विभाग के कर्मचारी मंत्रालय के गेट क्रमांक-1 पर रामधुन के लिए एकत्रित हो गये थे । 

रामधुन के साथ-साथ वक्ताओं ने अपनी मांगों को पुनः दोहराते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया कि अधिकारियों द्वारा मांगों के लिए उन्हें भ्रमित किया जा रहा है एवं सही स्थिति उनके समक्ष नहीं रखी जा रही है। यदि माननीय मुख्यमंत्री जी सभी मांगों की नस्ती अपने समक्ष बुलाकर देख लेंगे तो वे स्वयं इस पर तत्काल निराकरण के आदेश जारी कर देंगे ।

मंत्रालय कर्मचारी संघ के नेता/अध्यक्ष श्री सुभाष वर्मा और श्री जी. पी. सिंह ने बताया कि, कुल मिलाकर अपनी समस्याओं को भगवान को सुनाने के बाद सभी उपस्थित जनसमूह ने कार्यक्रम को निरंतर जोरशोर से जारी रखने पर अपनी सहमति करतल ध्वनि के साथ दी। 

मंत्रालय में रामधुन का यह कार्यक्रम दिनांक 28 सितम्बर 2023 तक अनवरत जारी रहेगा और इसके बाद भी यदि मांगों का निराकरण नहीं होता है तो मंत्रालय के समस्त अधिकारी / कर्मचारी दिनांक 29 सितम्बर 2023 से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर प्रस्थित हो जायेंगे । 

उपस्थित जनसमुदाय के आक्रोश को देखकर लगता है कि अब मंत्रालय के अधिकारी / कर्मचारी साप्रवि एवं वित्त विभाग के अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण आर पार की लड़ाई के मूड में आ गये हैं।



✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II
● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

"बेख़बरों की खबर" फेसबुक पेज...👇

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर

"बेख़बरों की खबर" न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट... 👇

https://www.bkknews.page

"बेख़बरों की खबर" ई-मैगजीन पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...👇https://www.readwhere.com/publi.../6480/Bekhabaron-Ki-Khabar

🚩🚩🚩🚩 आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम। 🚩🚩🚩🚩 

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

चौऋषिया दिवस (नागपंचमी) पर चौऋषिया समाज विशेष, नाग पंचमी और चौऋषिया दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति और अर्थ: श्रावण मास में आने वा ली नागपंचमी को चौऋषिया दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द "चतुरशीतिः" से हुई हैं जिसका शाब्दिक अर्थ "चौरासी" होता हैं अर्थात चौऋषिया समाज चौरासी गोत्र से मिलकर बना एक जातीय समूह है। वास्तविकता में चौऋषिया, तम्बोली समाज की एक उपजाति हैं। तम्बोली शब्द की उत्पति संस्कृत शब्द "ताम्बुल" से हुई हैं जिसका अर्थ "पान" होता हैं। चौऋषिया समाज के लोगो द्वारा नागदेव को अपना कुलदेव माना जाता हैं तथा चौऋषिया समाज के लोगो को नागवंशी भी कहा जाता हैं। नागपंचमी के दिन चौऋषिया समाज द्वारा ही नागदेव की पूजा करना प्रारम्भ किया गया था तत्पश्चात सम्पूर्ण भारत में नागपंचमी पर नागदेव की पूजा की जाने लगी। नागदेव द्वारा चूहों से नागबेल (जिस पर पान उगता हैं) कि रक्षा की जाती हैं।चूहे नागबेल को खाकर नष्ट करते हैं। इस नागबेल (पान)से ही समाज के लोगो का रोजगार मिलता हैं।पान का व्यवसाय चौरसिया समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय हैं।इस हेतू समाज के लोगो ने अपने