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प्रथम सांस्कृतिक संध्या पर हुआ कबीरपंथी गायन, लोक संगीत एवं नृत्यों की मनोहारी प्रस्तुति

उज्जैन । उज्जैन पुस्तक मेले में प्रथम सांस्कृतिक संध्या पर सुंदरलाल मालवीय और उनके समूह द्वारा कबीरपंथी एवं लोकगीतों की प्रस्तुति की गई। इसी संध्या पर डॉक्टर तृप्ति नागर के निर्देशन में लोक नृत्य एवं गीतों की प्रस्तुति हुई। 

उज्जैन पुस्तक मेला 2023 के पहले दिन सुन्दर सांस्कृतिक माच समिति, उज्जैन की ओर से निर्गुण गान प्रस्तुति हुई, जिसके निर्देशक सुन्दरलाल मालवीय थे। मुख्य कलाकार सुन्दरलाल  मालवीय एवं कबीर मालवीय थे तथा सहगायन रागिनी मालवीय, जयति मालवीय, मास्टर विरांश, यशस्विनी निगम ने किया। तबला संगत कमल शिवालिया, ढोलक पर सूरज चक्रावदिया ने संगत की। उनकी प्रस्तुतियों में गुरु भजलो हो तम भाया, जनम तेरो बातो ही बीत गयो, सुमिरन करले मेरे मना, लगन कठिन मेरे भाई गुरु से, सतगुरु है रंगरेज चुनर मोरी रंग डारी, तेरे घर में घुस गए चोर, मेरे भोले का डमरू बाजे ने श्रोताओं को झुमाया।  

इसी सन्ध्या पर डॉ तृप्ति नागर के निर्देशन में लोक नृत्य और गायन की मनोहारी प्रस्तुतियों ने कला रसिकों को आनंदविभोर किया। 

मुख्य स्वर डॉ तृप्ति नागर का था। संगतकार हारमोनियम पर पंडित अनुराग उपाध्याय एवं ढोलक पर वैभव भावसार थे। लोकनृत्य कलाकार विनती जैन, मयूरी डोड, जीविधा गुप्ता, श्रुति जैन, सलोनी राठौर, आद्रिका वैष्णवी थीं। कलाकारों ने गीत म्हारो चूड़ो चमके लोक नृत्य, म्हारा मनडा में नाचे मोर पर लोक नृत्य, नैना रा लोभी लोक नृत्य, भोले तेरी कृपा से बहती है गंग धारा गायन एवं लाया डाकबाबू लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। 

प्रारंभ में समन्वयक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा, संगीतकार श्री सुंदरलाल मालवीय एवं डॉक्टर तृप्ति नागर को पुष्प गुच्छ अर्पित कर एनबीटी, नई दिल्ली के उपनिदेशक श्री मयंक सुरोलिया ने स्वागत किया। आभार प्रदर्शन सुश्री आकांक्षा ने किया।

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