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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति के भाषण का मूलपाठ

नमस्कार!

आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुझे कितना अच्छा लग रहा था कि विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों, उनके विद्वान शिक्षकों, अभिभावकों के बीच में आकर। आखिर में तो पराकाष्ठा हो गई जब तीनों के तीनों मेडल बालिकाएं लें गई। आपके सांसद मुझसे कह रहे थे कि बाज़ी उन्होंने मार ली जिनका हक था। मेरी धर्मपत्नी भी इस बात से काफी प्रसन्नचित है।

मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं आप सभी का बहुत आभारी हूं। जो मैंने दुनिया और देश में कहीं देखा नहीं है, उसको देखकर में और भी अभिभूत हूं। पारंपरिक परिधान और अंगवस्त्र में भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, चारों दिशाओं की झलक देखने को मिलती है। यह देश के लिए बहुत बड़ा सार्थक संदेश है और दुनिया को G20 आयोजन में इसकी झलक देश के 58 शहरों के 200 बैठकों में मिली है। विदेशी मेहमान अभिभूत थे, उनके लिए यादगार पल थे। पर शैक्षणिक जगत में ऐसा होना कि मेरे को एक संदेश मिले कि आपका ड्रेस कोड भारतीय है, मुझे बहुत अच्छा लगा, सदा याद रखूंगा।

दीक्षांत समारोह में जून 2018 से दिसंबर 2022 कोविड की याद दिलाता है, 450 विद्यार्थियों को जो उपाधियां प्रदान की गई हैं, उनको, उनके शिक्षकों को, उनके परिजनों को, उनके मित्रों को मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। आज का दिन उनके जीवन में सदा महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि अब वो दुनिया में छलांग लगाने वाले हैं।

विश्व प्रेस दिवस हर साल 3 मई को पूरे विश्व में मनाया जाता है। हर वर्ष कोई ना कोई थीम दी जाती है, संयुक्त राष्ट्र का यह प्रयास रहा है प्रेस की स्वतंत्रता हो, इसमें कभी कोई मतभेद नहीं हो सकता। कहते हैं ना, "Free press is a spinal strength of any democratic Nation".

पत्रकार प्रेस की स्वतंत्रता के अंतिम प्रहरी हैं। उनका बहुत बड़ा दायित्व है, उनके कंधों पर बहुत बड़ा भार है। चिंता का विषय है, चिंतन का विषय है, मंथन का विषय है और परेशानी का विषय है कि प्रहरी कुंभकरण मुद्रा और निद्रा में है।

भारत जैसे विशाल देश में, we are home to one-sixth of humanity, ऐसे देश में जिसकी हजारों वर्ष की संस्कृति है, उसमे कुंभकरण मुद्रा और निद्रा में होना इनके लिए ठीक नहीं है। देश के लिए भी अच्छा संदेश नहीं जाता।

सभी जानते हैं पत्रकारिता व्यवसाय नहीं है, समाज सेवा है। मेरे से ज़्यादा आप जानते हैं पर बड़े अफसोस के साथ कह रहा हूं बहुत से लोग यह भूल गए हैं। पत्रकारिता एक अच्छा व्यवसाय बन गया है, शक्ति का केंद्र बन गया है, सही मानदंडों से हट गया है, भटक गया है। इस पर सबको सोचने की आवश्यकता है।

पत्रकार का काम क्या है? निश्चित रूप से किसी राजनीतिक दल का हितकारी होना तो नहीं है, पत्रकार का यह काम तो कभी नहीं हो सकता कि वह ऐसा काम करें कि एजेंडा सेट हो, कोई particular narrative चले, यह तो नहीं होना चाहिए। मैं खुलकर बात इसलिए कर रहा हूं कि एशिया और देश में, इस संस्थान का बड़ा नाम है। जिस व्यक्ति के नाम पर है, उनकी रीढ़ की हड्डी बहुत मज़बूत थी। इसीलिए मैं भी हिम्मत कर रहा हूं, ऐसी बातें दिल से कहूं आपके समक्ष।

प्रेस की स्वतंत्रता तभी हो सकती है, जब प्रेस जिम्मेवार हो, सकारात्मक समाचारों को महत्व देने की ज़रूरत है।

आपके संदर्भ में यदि अगर मैं आपके प्रांत के बारे में बात करूं तो विकास को राजनीति से मत जोड़िए। विकास की यात्रा का आनंद लीजिए। विकास की चर्चा करना यह नहीं है कि किसी राजनीतिक दल की प्रशंसा कर रहे हैं, विकास एक जमीनी हकीकत है।

पिछले दो दशक में आपके प्रांत में, मध्य प्रदेश ने कई मुकाम हासिल किए गए हैं। राजनीतिक चश्मे से मत देखिए। प्रधानमंत्री जी ने जब मेरा परिचय कराया राज्यसभा में तो उन्होंने मुझे कृषक पुत्र कहा, मैं इस पर ध्यान देते हुए बताऊंगा कि आपके प्रांत में कितना बदलाव आया और पत्रकारिता ने वह ज़्यादा क्यों नहीं दिखाया, और उसका कितना व्यापक असर है।

सिंचाई में 20 साल में 6 गुना वृद्धि! 7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर, 42 लाख हेक्टेयर होना, अच्छा होता कि पत्रकार जाता, देखता जो बदलाव आया है, उससे अर्थव्यवस्था पर क्या फर्क पड़ा। सामाजिक व्यवस्था पर क्या असर पड़ा है। बच्चों की शिक्षा पर क्या असर पड़ा है। 7 लाख हेक्टेयर से 42 लाख हेक्टेयर तक की यात्रा प्रशासनिक कमिटमेंट के बिना संभव नहीं है, वह हो गई।

बिजली जो हमारी प्राथमिक आवश्यकता है उसमें 6 गुना हुआ है। 5000 मेगावाट से 28000 मेगावाट पहुंच गए। मैं उस ओर ध्यान देना चाहता हूं कि यदि अगर पत्रकार, थोड़ा सा कष्ट लेकर जो बड़ा परिवर्तन हुआ है इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ा है उसकी व्याख्या भी कर दे। शिक्षा में आपके यहां क्रांति है, मैं खुद मध्य प्रदेश कहीं बार आया हूं, हर परिस्थिति मैं आया हूं, राज्यपाल की हैसियत से भी आया हूं, उपराष्ट्रपति की हैसियत से भी आया हूं। जब लोगों से सड़कों के बारे में पूछता हूं, तो शायद यह इकलौता राज्य है जहां हर डिविजनल हैडक्वाटर, चार लेन से जुड़ा हुआ है। मेरा कहने का तात्पर्य है यह है कि पत्रकार यदि अगर विकास को अपने रडार पर रखेगा तो समझ में जो सकारात्मक बदलाव आ रहा है, उसमें निश्चित रूप से गति आएगी।

हाल ही में G-20 संपन्न हुई, दुनिया की कई नेताओं से मुझे चर्चा करने का अवसर मिला। कुछ बातें इतनी जबरदस्त है जो पत्रकारों को फ्रंट में रखनी चाहिए, वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष भारतीय मूल के हैं। उन्होंने कहा पिछले 6 साल में financial inclusion जो भारत ने किया है, वो 47 साल में संभव नहीं था।

मुझे बताइए इतनी बड़ी उपलब्धि इतने बड़े व्यक्ति ने पूरी जांच पड़ताल के बाद कही, हमारा सीना चौड़ा होना चाहिए। मैं कह सकता हूं दावे के साथ, यह सही क्यों है।

सितंबर 2022 में भारत में वह कर दिखाया जिसका सपना और कल्पना मैं नहीं की थी जब मैं 1989 में लोकसभा का सदस्य बना और केंद्र में मंत्री बना। आज से 10 साल पहले का परिदृश्य देखिए, हमारे सामने एक चित्र था कि दुनिया में पांच कमजोर कड़ी है, पांच कमजोर देश है- Fragile Five जो दुनिया पर बोझ बने हुए थे, साउथ अफ्रीका, तुर्की, इंडोनेशिया, ब्राजील और भारत। 10 साल में, सितंबर 2022 में भारत को सौभाग्य मिला दुनिया की पांचवी आर्थिक महाशक्ति बनी, 2022 के सितंबर में। किनको पछाड़ा? उन अंग्रेजों को जिन्होंने हम पर सदियों तक राज किया था।

यदि अगर हम यह देखें कि भ्रष्टाचार कैसे खत्म हुआ? क्योंकि आप पैसा सीधा बैंक अकाउंट में जाने लग गया। दुनिया के मापदंड पर, direct digital transactions, भारत के 45% से ज़्यादा है। यदि अगर हम 2022 का आंकड़ा देखें, तो अमेरिका, यूके, फ्रांस, जर्मनी को इकट्ठा कर लो, और चार से गुणा कर दो, तो भी हमारे महान भारत के मापदंड तक नहीं पहुंच पाए, हमसे कम है।

यह प्रगति हमने अर्जित की है। देश तभी आगे बढ़ेगा, जब देश का मनोबल ऊंचा होगा। विकास के मामले में, राजनीतिक चश्मे को निकाल कर छोड़ देना चाहिए। किसी मुद्दे पर सहमति हो या ना हो विचार विमर्श आवश्यक है। आपका मत आपका विवेक है, आप सहमत हो सकते हैं आप असहमत हो सकते हैं, पत्रकारिता कहां है? राज्यसभा के सभापति की हैसियत से मैं लगातार इस ओर प्रयास कर रहा हूं, की वहां क्या होना चाहिए। Dialogue, debate, discussion, deliberation, परंतु हो क्या रहा है? Disturbance, Distruption. संविधान सभा में तो 3 साल तक ऐसा कभी नहीं हुआ था। उन्होंने तो बहुत ही गंभीर मुद्दों का सामना किया था, उनका समाधान ढूंढा विचार विमर्श से। मतभेदों को खत्म किया, कभी नारे नहीं लगे, कभी प्लेकार्ड नहीं दिखा अब दिखता है। पर मीडिया में इसका कोई असर नहीं है। यह जन आंदोलन बनना चाहिए। आपके जन प्रतिनिधि कैसे ऐसा आचरण कर सकते हैं कि उसे उत्तरदायित्व का निर्वाहन नहीं कर रहे जो संविधान ने उनको दिया है, जो मौका आप लोगों ने दिया है।

मेरा आपसे यह आग्रह रहेगा कि मीडिया सजग है तो देश गदगद होगा। कुरीतियों को दूर करने में आपका बहुत बड़ा योगदान है। हमारे संविधान में मौलिक अधिकार है पर मौलिक दायित्व भी है, directive principles भी हैं। मीडिया ठान ले तो देश में सड़क पर अनुशासन सर्वोपरि होगा। आप लोगो की ताकत बहुत ज़्यादा है, आपको सिर्फ समझने की आवश्यकता है। उनको रास्ता आप दिखाएंगे, जिनको रोशनी की आवश्यकता है।

पत्रकारिता की वर्तमान दशा और दिशा गहन चिंता और चिंतन का विषय है। हालात विस्फोटक है, अविलंब निदान होना चाहिए। प्रजातांत्रिक व्यवस्था का आप चौथा स्तंभ है। सबसे कारगर साबित हो सकते हैं, कार्यपालिका हो, विधायिका हो, न्यायपालिका हो, सबको आप अपनी ताकत से सजग कर सकते हैं, कटघरे में रख सकते हैं। But this watchdog is watching the interest on a commercial pattern. यह ठीक नहीं है, जब आप जनता के watchdog हो तो किसी व्यक्ति का हित आप नहीं कर सकते, आप सत्ता का केंद्र नहीं बन सकते। सेवा भाव से कम करना होगा। और आवश्यकता इसमें क्या है? सच्चाई, सटीकता और निष्पक्षता इनके बिना कुछ होगा नहीं।

जिनका काम सबको आईना दिखाने का है, हम ऐसे हालात में पहुंच गए हैं कि हमें उनको आइना दिखाना पड़ रहा हैI यह चिंता का विषय है और आईने के बारे में एक ग़ज़ल में कहा गया है:

जड़ दो चांदी में चाहे सोने में,

आईना झूठ बोलता ही नहीं।

हमारे पत्रकार प्रतिभाशाली है, आप लोग जब जाएंगे you are leaving an institution where you have been trained, grilled, equipped in the best of situations. पर आप बाहर जाते ही देखेंगे की बाढ़ खेत को खा रही है तो आपको रोकना है, हताश नहीं होना हैI नए मापदंड पैदा करने हैं और इसमें माखनलाल चतुर्वेदी जी से बड़ा कोई उदाहरण आपके लिए नहीं हो सकता।

खबर क्या है खबर? कोई जानकारी नहीं है। उपराष्ट्रपति भोपाल आएंगे, कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे यह खबर नहीं है यह सूचना है। खबर वह है जिसे कोई छुपाना चाहता है, खबर वह है जिस पर लोग पर्दा रखना चाहते हैं, खबर वह है जिससे लोग डरते हैं कि सामने ना आ जाए।

 80 के दशक में खोजी पत्रकारिता थी। वह बाद में पता नहीं कहां खो गई, कहां भटक गई खोजी पत्रकारिता, लगभग विलुप्त हो चुकी है।

और ऐसा क्यों है जब आप अपना कार्यक्रम वातानुकूलित air conditioned chamber  से कर सकते हैं google  गुरु की जानकारी से कर सकते हैं, और एक से ज्यादा एक स्पर्धा कर सकते हैं, उसी पीड़ा को आप और हमको सहन करना पड़ता है। जब चैनल पर आता है we are the first one to report,  अगला चैनल भी कहता है we are the first one to report, third भी कहता है we are the first one to report . अरे हमारे विवेक पर कुछ तो विश्वास करो।

हम कहां जा रहे हैं दुनिया में है कई चैनल है जिन पर डिबेट होती है, डिस्कशन होता है मन करता है सुनते ही जाए। अपने यहां पर हालात यह हो गए हैं की मेरे से ज्यादा आप जानते हो रोज देखते हो, रोज परेशान भी होते हो, कितनी अनैतिक भाषा का उपयोग किया जाता है और क्या-क्या छाप देते हैं।

भारत मंडपम दुनिया के 10 बड़े ऐसे संस्थानों में एक है। G20 का अधिवेशन हुआ, शानदार हुआ दुनिया के हर नेता ने कहा कल्पना नहीं की थी कि भारत में होगा, भारतीय संस्कृति के अनुरूप हमने सब मेहमानों को विदा किया। आखिर में हम तीन बचे माननीय उपराष्ट्रपति जी, मैं मेरी धर्मपत्नी और माननीय प्रधानमंत्री जी। मैंने ओर प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रपति जी को सी ऑफ किया फिर माननीय प्रधानमंत्री जी ने मुझे और डॉक्टर सुदेश को सी ऑफ किया और वह आखिर में गए।  हमने कहीं पानी नहीं देखा, वहां अंदर एक बूंद तक नहीं देखी, कैसे दिमाग विकृत हो जाता है। देश की प्रशंसा को आप डाइजेस्ट नहीं कर सकते, आपका हाजमा खराब हो जाता हैं। कहते हो कि वहां flooding हो गई, मुझे बड़ा दुख हुआ बड़ी पीड़ा हुई और उससे भी ज्यादा पीड़ा तब हुई कि लोगों का रिएक्शन नहीं आया। कहना चाहिए था की किसने देखा? बहुत गलत है।

देश बहुत बढ़ रहा है कल्पना से परे बढ़ रहा है। हमारी उपलब्धियां पर दुनिया नाज कर रही है। क्या कहा जा रहा है इंटरनेशनल मोनेटरी फंड द्वारा की दुनिया में यदि अगर कहीं रोशनी है, आर्थिक जगत के लिए तो वह स्थान भारत है।

Bharat is the land of opportunity and investment और हमारी इकोनॉमी grow कर रही है।

पर जब भारत में कुछ अच्छा होता है कुछ लोगों का हाजमा में बिगड़ जाता है, वह पचा नहीं पाए वह ढूंढते हैं मौका कि हमारे भारत को, हमारी संस्थाओं को कैसे कलंकित करें, कैसे taint tarnish and demean करे और दुनिया में फेरा लगते हैं।

किसी देश का नागरिक ऐसा नहीं करता, किसी देश का नहीं करता। मैं कह सकता हूं आपके समक्ष जितनी अभिव्यक्ति की आज़ादी भारत के संसद में है, दुनिया के किसी कोने में नहीं हैI मैंने यहां तक कहा हुआ है आप किसी भी मुद्दे पर डिस्कशन कीजिए, नियमित सीमा है ढाई घंटे की, मैंने कहा उस मुद्दे पर आधी रात तक करूंगा, चर्चा तो कीजिए और चर्चा से निश्चित रूप से अच्छा परिणाम निकलेगाI पर ऐसा ना होना अच्छी बात नहीं है।

महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ, चंद्रयान अंतिम वहां गया, सफलता मिली चांद के ऊपर तिरंगा स्थान बना, चांद पर शिव शक्ति स्थान बना, दुनिया ने इसको एंजॉय किया, भारत की उपलब्धि की प्रशंसा की पर हम भूल गए पत्रकारों को चाहिए कि वह गहराई में जाए कि इसरो ने यह कैसे हासिल की है। एक जमाना था जब हमारे सैटेलाइट को हम दूसरे जगह जाकर लॉन्च करते थे और उस समय पाकिस्तान अपनी धरती से कर रहा था, 1962-63 की बात कर रहा हूं।  हम कहां पर आ गए हैं, आज हम सिंगापुर का सेटेलाइट भेज रहे हैं दुनिया के विकसित देशों का भेज रहे हैं, गुड वैल्यू फॉर मनी दे रहे हैं, हमारी साइंटिस्ट ने क्या कमाल किया है। पत्रकारों को इसपर ध्यान देना चाहिए।

आज के दिन जब दुनिया स्तब्ध है कि 11 करोड़ किसानों को साल में तीन बार सीधा पैसा कैसे मिल रहा है। देने वाले में ताकत हो सकती है, लेने वाले में भी होनी चाहिए। मैं कृषक पुत्र हूं, मेरा मन बहुत खुश होता है कि किसान आज के दिन डायरेक्ट पैसा रिसीव करने के लिए तैयार है उसके गांव में इंटरनेट है, 4G है, और हम लोग तो जहां स्किल का मामला है, एकलव्य हैं। कोई सिखाये या ना सिखाये भारतीय में प्रतिभा है वह खुद सीख लेते हैं। जब दुनिया में एक मुद्दा उठा की per capita data consumption Internet  का ज्यादा कहां है, तो पता लगा जितना अमेरिका में है, जितना चीन में है उन दोनों को मिला दो तो भी हमारे भारत का ज्यादा है यह उपलब्धि है।

भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मीडिया की है। आज एक वातावरण देश में हो गया। कानून से ऊपर कोई नहीं है, कानून का शिकंजा आप तक पहुंचेगा, कानून आपके घर दस्तक देगा आप कितने ही बड़े व्यक्ति हो, आप कितना ही बड़ा खानदान हो कितनी ही बड़ी आपकी आर्थिक ताकत हो सामाजिक ताकत हो राजनीतिक ताकत हो वह दस्तक तो आएगी, वह शिकंजा तो पहुंचेगा।

और हमारे देश में सुदृढ़ न्याय व्यवस्था है। मैं पत्रकार बंधुओ से कहता हूं कि जब कोई संस्था किसी को नोटिस देती है कि आदमी तो किधर जाना चाहिए, न्यायालय की ओर पर वह सड़क पर क्यों आते हैं और सड़क पर आते हैं, अव्यवस्था फैलाते हैं। हम क्यों बर्दाश्त करते हैं? If you have a problem then go to court और हमारे न्यायालय बहुत निष्पक्ष है।

करप्शन को न्यूट्रलाइज करने में पत्रकारों की बहुत बड़ी भूमिका है, पर जब नीचे की ओर देखते हैं तो कुछ सालों पहले चर्चित टेप आई थी, उन टेंपो में क्या नहीं दिखाया गया था। क्या-क्या गतिविधियां नहीं दिखाई गई थी, इतना कुछ होने के बाद कुछ लोगों को संन्यास ले लेना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ है, जनता को वातावरण तैयार करना पड़ेगा। पहले पत्रकारिता मिशन थी, एक उद्देश्य था समाज का हित था, नीतियों पर कुठाराघात था, पर अब टॉप आ गया,  सनसनीखेज।

मैं मेरी बात बताता हूं, यद्यपि बहुत जल्दी एक्शन लेना ठीक नहीं होता है। तेलंगाना के एक अखबार ने एक हेडलाइन दे दी 'Vice president's office post fake photographs of committee proceedings'.  अब दुनिया में कितना बड़ा संकेत गया है, देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर व्यक्ति जो विराजमान है और जो राज्यसभा का सभापति है और जो कमेटी को preside करता है और सभी दल के नेता आते हैं, उसने अपने ट्विटर हैंडल के ऊपर फेक फोटोग्राफ पोस्ट कर दी,  नितांत झूठ, कोई दम नहींI मेरे पास विकल्प है गंभीर विकल्प है, दूरगामी परिणाम हो सकते हैं पर मेरी तो गुजारिश है पत्रकार लोग इस ओर ध्यान क्यों ना देI मेरे ट्विटर हैंडल पर जो भी फोटो है वे सभी पत्रकारों को पता है, दुनिया को पता है वह इस मीटिंग की है, सबको पता है उसे मीटिंग के नेताओं से कर लो, पर कोई नहीं करता, ऐसा ठीक नहीं हैI हमें नींद से जागना पड़ेगा, हमारे कौशल को हमारी ताकत को समझाना पड़ेगाI

रचनात्मक, सकारात्मक योगदान ही महान भारत को 2047 में विश्व गुरु बनाएगा। 2047 में निश्चित रूप से भारत दुनिया के शीर्ष पर होगा हमारी इकोनॉमी सबसे बड़ी होगी, हम में से कुछ लोग 2047 में नहीं रहेंगे आप सब लोग रहोगे, मैं जहां भी जाता हूं बालको- बालिकाओं को कहता हूं कि हम नहीं रहेंगे पर जिस दुनिया में आप रह रही हो उसकी हमने कल्पना नहीं की थी। आज के दिन एक ऐसा वातावरण है कि आप अपने प्रतिभा को चाहे जैसे भी निखार सकते हो। यह हो गया है। अब आप कीजिए यह सब आपके हवाले है। मैं आशावन हूं की उपाधि प्राप्त करने वाले  विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग लोक कल्याण के लिए करेंगे और मैं आशावान् ही नहीं हूं मैं कॉन्फिडेंट हूं आप सब लोग करेंगे शत प्रतिशत करेंगे।

मैं आपसे तीन बातें कहूंगा समाप्त करने से पहले-  हमें गौरव होना चाहिए कि हम भारतीय हैं, हमें देश को सर्वोपरि रखना चाहिए, किसी भी हालत में हमें देश को कुंठित नहीं होने देंगे। हम प्राउड भारतीय हैं और हमारी जो ग्रोथ है जो दुनिया को आश्चर्यचकित कर रही है उसे पर हमें मान होना चाहिए।

I have no doubt boys and girls that you will come up to these expectations, you are foot soldiers of Bharat at 2047. आपके कंधों पर यह बहार है कि भारत की जिस गति से प्रगति हो रही है और जो जियोमीट्रिक है उसको आगे जारी रखने का काम आप सब लोगों का है।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को बनाए रखने, संविधान के मूल्यों को संरक्षित करने तथा राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रभावी योगदान देगा यह मेरा दृढ़ विश्वास और कामना है।

आप सभी को फिर से धन्यवाद।

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