Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय में बना साइबर जागरूकता हेतु भारत का प्रथम साइबर वेलनेस सेल

  साइबर वेलनेस पर हुआ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में 'आईक्यूएसी' के संयोजन से अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। नॉलेज पार्टनर 'रिस्पांसिबल नेटिज्म' के साथ "साइबर कल्याण के लिए युवा" विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार दिनांक 12 सितंबर को आयोजित किया गया, जिसमें देश दुनिया के आईटी विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञ वक्ता सुश्री शिल्पा चांदोलीकर, सुश्री सोनाली पाटनकर, मुंबई, अनादि उपाध्याय, यूएसए,  एसपी डॉ प्रशांत चौबे एवं गोविंद सेठिया, यूके ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि कार्यपरिषद सदस्य डॉ विनोद यादव, श्री संजय नाहर, श्रीमती ममता बेंडवाल, कुलसचिव डॉ प्रज्वल खरे थे। 

भारत में जी-20 प्रेसीडेंसी की अवधारणाओं के अनुरूप युवाओं के लिए साइबर कल्याण के इस विषय पर आईक्यूएसी और रिस्पांसिबल नेटिज्म के द्वारा विचार और अवधारणाएं प्रस्तुत की गई और संपूर्ण छात्र समुदाय द्वारा इसका लाभ उठाया  गया।  इस आयोजन के साथ विक्रम विश्वविद्यालय ने पूरे भारत में पहली साइबर वैलनेस का शुभारंभ किया। इस शुभ आयोजन के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय और रिस्पांसिबल नेटिज्म के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।

कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ऑनलाइन रूप से उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता के रूप में सुश्री शिल्पा चांदोलिकर और सुश्री सोनाली पाटनकर ने इंटरनेट की दुनिया के जरिए हो रहे साइबर क्राइम के बारे में छात्रों को रूबरू करवाया।

ऑनलाइन संकट के मनोवैज्ञानिक प्रभावों, साइबर कमजोरी के प्रभाव, युवाओं के खिलाफ साइबर हिंसा और देश भर में देखे जाने वाले साइबर अपराधियों के अन्य रूपों को समझने के विषयों को समझाया और रेखांकित किया । साथ ही यह भी बताया की साइबर फ्रॉड से डरना नहीं है सावधानी रखना है, इसके साथ ही हमें अपने परिवार और समाज को निरंतर जागरूक करते रहना ही हमारी ड्यूटी है।

अतिथि वक्ता के रूप में यूएसए के ओरेकल कॉरपोरेशन के डॉ. अनादि उपाध्याय जी ने ''क्या हम डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए तैयार हैं?'' विषय पर व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने साइबर सुरक्षा इंटरनेट के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के बारे में बातचीत की एवं विचार कार्य प्रक्रिया, साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन सुरक्षा और यूपीआई के सफलता के कारण भी बताएं । 

अन्य अतिथि वक्ता यूके शेयर्ड बिज़नेस ऑफ़ एन्टरप्राईजेस, यूनाइटेड किंगडम के श्री गोविंद सेठिया जी ने "फ्यूचरिस्टिक साइबर सिक्योरिटी" के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने छात्रों को महामारी के बाद के युग, हमारी बढ़ती ऑनलाइन उपस्थिति और देश के तेजी से बढ़ते डिजिटलीकरण के बारे में बताया । उन्होंने  दर्शकों को कई प्रकार के साइबर अपराधों के बारे में भी विस्तार से बताया और उनसे बचने के बारे में जानकारी भी दी।

वक्ताओं में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर प्रशांत चौबे जी पुलिस अधीक्षक, पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (उज्जैन) की उपस्थिति में साइबर अपराध के बारे में एवं पुलिस उन्हें यथार्थवादी तरीके से कैसे संभालती है इस विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कई अन्य बातें भी बताई जिसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सोशल मीडिया के पीछे का विज्ञान, साइबर सेवा की उपस्थिति और आवश्यकता, साइबर हमलों के खतरे और आभासी छवि की सुरक्षा के बारे में युवाओं को अवगत कराया।

कार्यक्रम के अंत में  अध्यक्षता कर रहे ऑनर्स विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने दृष्टिकोण में युवाओं को चतुर्भुजी सूत्र के माध्यम से साईबर कल्याण के परिदृश्यों से परिचित करवाया ।

प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर उमा शर्मा, आईक्यूएसी के निदेशक प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह, भौतिक शास्त्र अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर स्वाति दुबे, संयोजक डॉक्टर निश्चल यादव आदि ने किया।

इस कार्यक्रम में लगभग 600 छात्रों ने पंजीकरण कराया और लगभग 500 छात्र इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

कार्यक्रम में अनेक  महाविद्यालयों से बहुत से युवा एवं पुलिस ट्रेनिंग के सैनिक मौजूद थे जो इस कार्यक्रम को सुशोभित कर रहे थे।  एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बहुत ही आनंददायक और ज्ञानवर्धक रहा, जिसने सभी युवाओं को पूरे भारत के लिए एक उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाने का मार्ग भी प्रशस्त किया।

कार्यक्रम के अंत में भौतिकी अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. स्वाति दुबे ने रिपोर्ट का वाचन किया। आभार प्रदर्शन डॉ निश्चल यादव ने किया।

सेमिनार में भाग लेने वाले सभी रिस्पांसिबल नेटीजन एक अच्छे डिजिटल शिक्षार्थी और ऑनलाइन नागरिक होने की जिम्मेदारी को निभाएंगे इस आशा के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं