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इतिहास के अचर्चित चरित्रों को लेकर उपन्यास लेखन विशेष प्रकार की चुनौती देता है – श्री शरद पगारे

लेखक से संवाद कार्यक्रम में श्रोताओं ने जानी तीन वरिष्ठ लेखकों से सृजन की प्रक्रिया

उज्जैन। राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सोमवार शाम को लेखक से संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस सत्र में व्यास सम्मान से अलंकृत प्रख्यात उपन्यासकार श्री शरद पगारे, इंदौर, वरिष्ठ कथाकार  श्री सूर्यकांत नागर एवं ललित निबन्धकार श्री नर्मदाप्रसाद उपाध्याय, इंदौर से उनके सृजन सरोकारों पर बातचीत की गई। अध्यक्षता एनबीटी नई दिल्ली के पूर्व चेयरमैन प्रो गोविंदप्रसाद शर्मा, ग्वालियर ने की। विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी भोपाल के संचालक श्री अशोक कड़ेल थे। संवाद कार्यक्रम का समन्वय विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया।  

संवाद कार्यक्रम की शुरुआत में ऐतिहासिक उपन्यास लेखक श्री शरद पगारे ने कहा कि इतिहास के अचर्चित चरित्रों को लेकर उपन्यास लेखन विशेष प्रकार की चुनौती देता है। मेरे उपन्यासों में इतिहास के कई अज्ञात प्रणय प्रसंगों को अभिव्यक्ति मिली है। इतिहास को खंगालने से अनेक प्रणय कथाएँ मेरे सामने आईं, जिन्हें अनदेखा किया गया। 

श्री नर्मदाप्रसाद उपाध्याय ने कहा कि भारतीय और पाश्चात्य सौंदर्य दृष्टि में पर्याप्त अंतर है। पश्चिम की कला दृष्टि व्यक्तिपरक है, वहाँ निजत्व की अभिव्यक्ति होती है। दूसरी ओर भारतीय कला  में निजत्व तिरोहित हो जाता है। वर्तमान में अंतरविधायी दृष्टि से संवाद करने की जरूरत है। 

श्री सूर्यकांत नागर, इंदौर ने कहा कि विशेष प्रकार की संवेदनाओं और भावनाओं के बिना साहित्य सृजन संभव नहीं है। विषय और संवेदनाएं स्वयं विधा का चयन कर लेती हैं।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो गोविदप्रसाद शर्मा, ग्वालियर ने कहा कि जब तक गहराई से अनुभव जगत में नहीं उतरेंगे तब तक श्रेष्ठ रचना सम्भव नहीं है। जब तक डूबेंगे नहीं तब तक साहित्य की सर्जना नहीं हो सकेगी।  

विशिष्ट अतिथि श्री अशोक कड़ेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप मध्यप्रदेश हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।  

समन्वयक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने लेखकों के योगदान प्रकाश डाला। उन्होंने तीनों रचनाकारों की सृजन प्रेरणा, प्रक्रिया और उनके कथ्य एवं सौंदर्य दृष्टि से जुड़े अनेक प्रश्न किए। संवाद कार्यक्रम में डॉक्टर पिलकेंद्र अरोरा, श्रीराम दवे, डॉ अरुण वर्मा, संतोष सुपेकर, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ शशांक दुबे, श्रीमती मीरा जैन, श्री राजेश सक्सेना, डॉ मोहन बैरागी आदि सहित अनेक शोधकर्ताओं ने भाग लिया और लेखकों से प्रश्न किए।

अतिथियों का स्वागत पुस्तक भेंट कर एनबीटी नई दिल्ली की ओर से उप निदेशक श्री मयंक सुरोलिया ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन, साहित्यकार, शोधकर्ता और विद्यार्थी उपस्थित थे। स्वागत भाषण प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने दिया।

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