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विक्रम विश्वविद्यालय की प्रगति के अभिनव सोपानों पर अग्रसर रहे हैं प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के कुलपति कार्यकाल के तीन वर्ष

नेतृत्व गुणों, अनुसंधान संस्कृति और नवीन कौशल को बढ़ावा देने के साथ युवा मानव संसाधनों के विकास और  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की राह पर  विक्रम विश्वविद्यालय

इतिहास प्रसिद्ध ‘सम्राट विक्रमादित्य’ के नाम पर 1956 में स्थापित विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का एक गौरवशाली अतीत, प्रगतिशील वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य है। राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक होने के नाते, इसने अपना एक ऐसा रूप गढ़ा है जो प्राचीन काल से ही इसकी मिट्टी से जुड़ा रहा है। विक्रम विश्वविद्यालय अपने नेतृत्व गुणों, अनुसंधान संस्कृति और नवीन कौशल को बढ़ावा देते हुए नैतिक मूल्यों के साथ युवा मानव संसाधनों को विकसित करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की राह पर है। विक्रम विश्वविद्यालय का ध्यान समकालीन प्रासंगिक पाठ्यक्रमों के विकास पर है। विश्वविद्यालय के प्रयासों और योगदान के साथ प्राचीन विद्वानों द्वारा निर्देशित शिक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से कटिबद्ध है। 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय विकास के नए सोपानों पर निरंतर गतिशील है, विगत तीन वर्षों में विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र के उच्चतम शिखर को छूआ है, दिनांक 14 सितंबर 2020 को प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय के विश्वविद्यालय के 31 वें कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद से विश्वविद्यालय में सम्पूर्ण विकास के साथ-साथ शैक्षिक गुणवत्ता-वृद्धि के लिए भी सभी दिशाओं में यह विश्वविद्यालय गतिशील रहा है। विशेष रूप से माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव जी, विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के सदस्यों, शिक्षकों, कर्मचारियों तथा अन्य सभी सुधीजनों के सहयोग से नवीन संकायों और पाठ्यक्रमों की संरचना के साथ  विश्वविद्यालय में प्रवेश में व्यापक अभिवृद्धि हुई है। कृषि अध्ययनशाला के नवीन भवन और  माननीय मंत्री के प्रयास से सोलह करोड़ की लागत से स्मार्टसिटी उज्जैन द्वारा पुरातत्व संग्रहालय के उन्नयन की योजना शीघ्र साकार होगी। विश्वविद्यालय द्वारा अपने संसाधनों से बजट में वर्कशॉप, सेमिनार के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। 

नए पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत विधि, कृषि, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, जीव विज्ञान, कला, समाज विज्ञान, इंजीनियरिंग आदि से जुड़े 220 से अधिक यूजी, पीजी, सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम हाल के दो वर्षों में प्रारम्भ किये गये हैं। वर्तमान में सभी विषय क्षेत्रों से जुड़े पाठ्यक्रमों की संख्या 280 से अधिक हो गई है। अध्यापन से लेकर परीक्षा परिणामों तक यह विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में अग्रगण्य बना हुआ है। विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों को राष्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय को  सेंट्रल जोन का लीड कोऑर्डिनेटर बनाया गया हैं l विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने क्रीड़ा, एनसीसी, एनएसएस एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अवार्ड अर्जित किए हैं।  

जैवविविधता के अध्ययन हेतु क्यू. आर. कोड का प्रयोग प्रारम्भ किया गया है। सांस्कृतिक वन का निर्माण किया जा रहा है। विधि अध्ययनशाला के लिए भवन का निर्माण किया गया। हाल ही में कृषि अध्ययनशाला के निर्माण के लिए अनुमानित 17 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। सत्र 2020-2021 में 3265 से अधिक नवीन प्रवेश, सत्र 2021-2022 में 4156 से अधिक प्रवेश, और इस सत्र में अभी तक 5300 से अधिक आवेदन आए हैं, जिनमें से 2300 से अधिक ने प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। प्रवेश प्रक्रिया निरन्तर चल रही है।

बी कॉम, बी फार्मा, बीटेक,  बायोटेक, एग्रीकल्चर आदि विषयों में सभी सीटें फुल हो गई हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, फार्मा में एडमिशन चल रहे हैं। अनेक नए पाठ्यक्रम विभिन्न संकायों में प्रारंभ किए गए हैं। इन्हें पूर्णतः कौशल विकास, उद्यमिता एवं रोजगारपरक दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया गया है, जिनमें कृषि विज्ञान, विधि, न्यायिक विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी, मत्स्य उत्पादन, जलीय कृषि तकनीकी, दुग्ध तकनीकी, रेशम कीट पालन एवं कीट विज्ञान, सूचना तकनीकी, नेटवर्क सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग, वेब तकनीकी, डाटा साइंस, इलेक्ट्रानिक्स, मशरूम उत्पादन, एम.ए.योग, एल. एल. एम., एम.टेक. जैसे अनेक पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जा चुके हैं। विद्यार्थियो तक लगातार पाठ्यक्रमों की जानकारी पहुंचाने के लिए कैरियर काउंसलिंग, कुलपति के साथ संवाद, विश्वविद्यालय चलो अभियान जैसे कई सार्थक प्रयास किए गए, जिनके कारण विश्वविद्यालय में विद्यार्थियो की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।

विश्वविद्यालय द्वारा 56 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों से द्विपक्षीय समझौता (एम.ओ.यू.) किया गया है जिनमें वन विभाग, मध्य प्रदेश शासन, सेरा लाइफ साइंस मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इन्दौर, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर, मााखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, भोपाल, विवेकानन्द वैश्विक विश्वविद्यालय, जयपुर, मध्यांचल व्यावसायिक विश्वविद्यालय, भोपाल, मानसरोवर वैश्विक विश्वविद्यालय, सीहोर आदि प्रमुख है।  एम.एससी. जैव प्रौद्योगिकी की छात्रा ने वर्मीकम्पोस्ट निर्माण की इकाई प्रारम्भ की है। वहीं बी.एससी, जैव प्रौद्योगिकी के विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय संसाधन का उपयोग करते हुए पुष्प एवं मशरूम (कवक) द्वारा कई सौन्दर्य उत्पाद, प्रोटीन पावडर एवं चाकलेट का निर्माण किया गया है। 

शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 20 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं, 40 से अधिक स्टार्ट अप प्रारम्भ किए जा चुके है तथा 25 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं। कंप्यूटर विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र को होम सर्वे स्टार्ट अप के लिए 1 लाख रुपए प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा सीड मनी के रूप में प्रदान की गई है। वर्ष 2023 में माननीय मंत्री द्वारा बायोटेक्नोलॉजी विभाग के 2 - 2 विद्यार्थियों को अपने स्टार्ट अप के लिए पचास - पचास हजार रूपए सीड मनी प्रदान किए गए हैं। रूसा के अंतर्गत तीन सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस  में से एक की स्वीकृति एवं साढ़े तीन करोड़ की राशी पुरातत्व विभाग को प्राप्त हो चुकी हैं l अभी तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 12 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं, 35 से अधिक स्टार्टअप प्रारम्भ किए जा चुके है तथा 20 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं।

विदेशी भाषा विभाग में फ्रेंच, जर्मन भाषा के अध्यापन तथा क्षेत्रीय बोलियों में मालवी, निमाड़ी, भीली, गोंडी पर व्यापक शोध, संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास किये जा रहे हैं। मालवी बोली को पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है। रोजगार मेले का आयोजन, विद्यार्थी समस्या के निराकरण हेतु कुलपति के साथ संवाद, परीक्षा समस्या हेतु विशेष शिविर, विद्यार्थियों के लिए डिजिलॉकर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।  विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं द्वारा अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन निरन्तर किया जा रहा है। स्वास्थ्य  परीक्षण शिविर, नशामुक्ति अभियान, चाइना डोर के इस्तेमाल के विरुद्ध का जनजागरण अभियान, ऊर्जा संरक्षण, गांवों को गोद लेना जैसी गतिविधियां की गईं।

वनमंडलाधिकारी उज्जैन एवं वृक्ष मित्र संस्थान के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में 8000 से अधिक पौधों का रोपण एवं सुरक्षा हेतु आवश्यक फेंसिग लगाने का कार्य किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा गाजर घास उन्मूलन सप्ताह का आयोजन 16-22 अगस्त 2022 तक किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से रोजगार एवं कौशल संवर्द्धन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास प्रारम्भ कर दिये गये हैं। विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं परिसर में सुनियोजित ढंग से वृक्षारोपण एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। इसमें जन सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। इस प्रकार विश्वविद्यालय विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर है।

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