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राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हुआ भारतीय ज्ञान परम्परा और पुस्तक संस्कृति पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद

उज्जैन। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली द्वारा, जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2023 में भारतीय ज्ञान परम्परा और पुस्तक संस्कृति पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया।  परिसंवाद की अध्यक्षता लखनऊ केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलाधिपति डॉ. प्रकाश बरतुनिया,  भोपाल ने की।  कार्यक्रम में सुधी वक्ता डॉ भगवतीलाल राजपुरोहित, डॉ विरुपाक्ष जड्डीपाल, उज्जैन, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, अभिषेक त्रिपाठी, आयरलैंड, प्रो देवकरण शर्मा, डॉ संतोष पंड्या, डॉ पूजा उपाध्याय, डॉ अखिलेश द्विवेदी, डॉ तुलसीदास परोहा, डॉ गोपालकृष्ण दुबे, झालावाड़ ने विचार व्यक्त किए।

डॉ. प्रकाश बरतुनिया,  भोपाल ने कहा कि पश्चिम से आक्रांत हुए हमें भारतीय ज्ञान परम्परा की मौलिकता को लेकर कार्य करना चाहिए। हमें सभी प्रकार की ज्ञान परम्पराओं को महत्व देना होगा। 

डॉ भगवतीलाल राजपुरोहित ने कहा कि पुस्तक में निबद्ध होने वाला विचार देश काल के पार चला जाता है। समय के प्रवाह में पुस्तक की परंपरा बदलती रही है किंतु विचार सदैव जीवित रहते हैं।

डॉ विरुपाक्ष जड्डीपाल, उज्जैन, ने कहा कि आचार्य राजशेखर ने उज्जैन को काव्यकार परीक्षा भूमि कहा है। बड़े कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से संपूर्ण दुनिया में पहुंच जाते हैं। पुस्तक मेला इसी प्रकार का उपक्रम है।

प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि सदियों से भारत में श्रुति परम्परा से लेकर पांडुलिपियों और शिलाओं तक ज्ञान के संरक्षण और संचार के उपाय किए जाते रहे हैं। भारतीय ज्ञान परम्परा में ग्रंथों के साथ वाचिक परम्परा ने भी ज्ञान के प्रसार में योगदान दिया है।

अभिषेक त्रिपाठी, आयरलैंड ने कहा कि विलुप्त होती हुई पुस्तकों के बीच पुस्तक मेला आशा की किरण जगाता है। उन्होंने आयरलैंड में पुस्तक संस्कृत के प्रसार के लिए किया जा रहे प्रयासों की चर्चा अपने उद्बोधन में की। 

प्रो देवकरण शर्मा हां की ज्ञान के संग्रह एवं वितरण में पुस्तक महत्वपूर्ण साधन रही हैं ज्ञान नष्ट होने वाला तत्व नहीं है, यह पुस्तकों के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ता है।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत पुस्तक भेंट कर एनबीटी नई दिल्ली की ओर से उप निदेशक श्री मयंक सुरोलिया ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, प्रबुद्ध जन, शोधकर्ता और विद्यार्थी उपस्थित थे। स्वागत भाषण एनबीटी नई दिल्ली की सुश्री आकांक्षा ने दिया। 

संयोजन डॉ तुलसीदास परोहा ने किया। आभार प्रदर्शन सुश्री आकांक्षा, नई दिल्ली ने किया।

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