Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 'साइबर कल्याण के लिए युवा' का आयोजन तथा भारत की पहली साइबर वेलनेस सेल का गठन

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में 'आईक्यूएसी' के संयोजन से 'साइबर कल्याण के लिए युवा' विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। उक्त कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 12 सितंबर 2023 को स्वर्ण जयंती हॉल, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में होगा। यह आयोजन जी-20 शिखर सम्मेलन के वाय- 20 (यूथ- 20) के अंतर्गत भारत को मिली जी 20 की अध्यक्षता की कड़ी में किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में साइबर क्राइम, साइबर अवेयरनेस, साइबर उपयोग की जानकारी काम होने के कारण हो रहे दुष्प्रभावों एव उसके निवारण के रूप में किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सुश्री सोनाली पाटनकर, अध्यक्ष रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म मुंबई एवम् सहवक्ताओ के रूप में श्री अनादि उपाध्याय, वरिष्ट निदेशक, ओरेकल कंपनी, यूएसए , सुश्री शिल्पा चंदोलिकर कार्यकारी निदेशक,  रिस्पॉन्सिबल नेटिस्म, मुंबई, श्री गोविंद सेठिया, सीनियर मैनेजर यूके शेयर्ड बिजनेस सर्विसेज, यूनाइटेड किंगडम, डॉक्टर प्रशांत चौबे पुलिस अधीक्षक  पुलिस प्रशिक्षण केंद्र उज्जैन आमंत्रित है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव, विशेष अतिथि के रूप में सम्माननीय कार्यपरिषद सदस्यगण श्री राजेश कुशवाह, डॉक्टर विनोद यादव, सुश्री ममता बेंडवाल, श्री संजय नाहर, श्री सचिन दवे, श्रीमती कुसुमलता निगवाल उपाथित रहेंगे एव कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय अखिलेश कुमार पांडेय करेंगें।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में भारत की पहली साइबर वेलनेस सेल की स्थापना की जाएगी जिसका उद्देश्य युवाओं में साइबर सेवा उपयोग के लिए जागरूकता एव व्यवहारिक समझ विकसित की जाने हेतु वॉलंटियर्स का चयन कर इस विषय में सकारात्मक पहल की जाएगी साथ ही अहान फाउंडेशन मुंबई एवम विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जायेंगे ।

इस कार्यक्रम में शहर के सभी कॉलेजों के युवा विद्यार्थी भी शामिल होंगे।

विक्रम विश्वविद्यालय सभी को संगोष्ठी में आने और भाग लेने के लिए सादर आमंत्रित करता है।

यह जानकारी आयोजन समिति के सचिव डॉ निश्चल यादव ने दी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...