उज्जैन। भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ उज्जैन के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन, निर्वाचन अधिकारी श्री रामसिंह बनिहार के निर्देशन में सम्पन्न हुए। यह जानकारी देते हुए हेडक्वार्टर कमिश्नर श्री नरेश शर्मा ने बताया कि प्रति पांच वर्ष में होने वाले निर्वाचन के प्रथम चरण में आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन भारत स्काउट एवं गाइड म.प्र. राज्य मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार सम्पन्न हुए। जिसमें उज्जैन जिला संघ के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों की निर्वाचन प्रक्रिया में संघ के 111 आजीवन सदस्यों में से दस प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतू निर्वाचन कार्यक्रम नियमानुसार घोषित किया गया था।
111 सदस्यों में दस नामांकन प्राप्त होने पर (1) श्रीमती पुष्पा शर्मा (2) श्रीमती कलावती यादव (3) श्री तरूण उपाध्याय (4) श्री हेमन्त लुल्ला (5) श्री राजेश सिंह कुशवाह (6) श्री अभय कुमार (7) श्री रमेश श्रीवैय्या (8) श्री राजेश शर्मा (9) श्री हेमचन्द शर्मा व (10) श्री राजेंद्र शर्मा को निविर्रोध निर्वाचित घोषित किया गया। ये सभी आजीवन सदस्य प्रतिनिधि अपने में से एक सदस्य को भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ, उज्जैन की जिला कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व हेतू प्रतिनिधि निर्वाचित करेंगे एवं जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के निर्वाचन में मतदान कर सकेंगे।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर
Comments