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स्वाधीनता दिवस की पुण्य बेला पर भारत को उत्तरोत्तर उत्कर्ष पर ले जाने की शपथ लें – कुलपति प्रो पांडेय

 विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में उल्लास के साथ मनाया गया स्वाधीनता दिवस

जिला वन मंडलाधिकारी डॉ किरण बिसेन और वृक्ष मित्र सेवा समिति के संयोजक श्री अजय भातखंडे पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में स्वाधीनता दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इस अवसर पर जिला वन मंडलाधिकारी डॉ किरण बिसेन और वृक्ष मित्र सेवा समिति के संयोजक श्री अजय भातखंडे पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किए गए। उन्हें कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ प्रज्वल खरे, कार्यपरिषद सदस्य श्री संजय नाहर, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने शॉल एवं अभिनन्दन पत्र अर्पित कर सम्मानित किया।  

कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनादि शिक्षा स्थली और महाकाल की पावन धरा पर आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ। संपूर्ण देश आजादी का अमृत महोत्सव के साथ अमृत काल की ओर बढ़ रहा है इसकी विशेष बधाई देता हूँ। आज के दिन भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी। आज का दिन इस देश के नए सपनों, नए संकल्पों को साकार करने के लिए कुर्बानी देने वाले महान सेनानियों का स्मरण कराता है। अमर वीरों ने आजादी की मशाल को जलाये रखने के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। ऐसे असंख्य अमर शहीदों को मैं विश्वविद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय में अनेक आयोजन किये गए। सामान्य जनता और किसानों से लेकर आदिवासी समुदाय और रणबाकुंरों ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिये अपना सब कुछ अर्पित किया। अनेक वैज्ञानिकों, संस्कृतियों, साहित्यकारों और पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों ने संगोष्ठियों, प्रतियोगिताओं, नृत्य-संगीत आदि के माध्यम से आजादी के अमृत महोत्सव और जी-20 में भारत की अध्यक्षता को उल्लास से मनाया हैं। यह सिलसिला निरन्तर चलता रहेगा।

विश्वविद्यालय में नई कार्य संस्कृति की दिशा में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय के सभी अंग मिलकर इस कार्य संस्कृति में अपना पूर्ण सहयोग देकर चहुँमुखी विकास के लिये तत्पर हों। विक्रम विश्वविद्यालय विकास के नए सोपानों पर निरंतर गतिशील है। सम्पूर्ण विकास के साथ-साथ शैक्षिक गुणवत्ता-वृद्धि के लिए सभी दिशाओं में यह विश्वविद्यालय गतिशील है। विश्वविद्यालय में प्रवेश में व्यापक अभिवृद्धि हुई है। कृषि अध्ययनशाला के नवीन भवन और पुरातत्व संग्रहालय के उन्नयन की योजना शीघ्र साकार होगी। विश्वविद्यालय द्वारा अपने संसाधनों से बजट में वर्कशॉप, सेमीनार के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। नए पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत विधि, कृषि, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, जीव विज्ञान, कला, समाज विज्ञान, इंजीनियरिंग आदि से जुड़े 220 से अधिक यूजी, पीजी, सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम हाल के दो वर्षों में प्रारम्भ किये गये हैं। वर्तमान में सभी विषय क्षेत्रों से जुड़े पाठ्यक्रमों की संख्या 280 से अधिक हो गई है। अध्यापन से लेकर परीक्षा परिणामों तक यह विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में अग्रगण्य बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि विद्यापरिषद् एवं योजना एवं मूल्यांकन बोर्ड के माध्यम से अनेक नवीन केन्द्र एवं पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। विविध ज्ञानानुशासनों से जुड़े इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यवसायोन्मुखी कौशल संवर्धन होगा। जैवविविधता के अध्ययन हेतु क्यू.आर. कोड का प्रयोग प्रारम्भ किया गया है। सांस्कृतिक वन का निर्माण किया जाना है। विधि अध्ययनशाला के लिए भवन का निर्माण किया गया। हाल ही में कृषि अध्ययनशाला के निर्माण के लिए अनुमानित 17 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। सत्र 2020-2021 में 3265 से अधिक प्रवेश, सत्र 2021-2022 में 4156 से अधिक प्रवेश, और इस सत्र में अभी तक 4623 से अधिक आवेदन आए हैं, जिनमें से 1550 से अधिक ने प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। प्रवेश प्रक्रिया निरन्तर चल रही है।

बी कॉम, बी फार्मा, बीटेक,  बायोटेक, एग्रीकल्चर आदि विषयों में सभी सीटें फुल हो गई हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, फार्मा में एडमिशन चल रहे है। अनेक नए पाठ्यक्रम विभिन्न संकायों में प्रारंभ किए गए हैं। इन्हें पूर्णतः कौशल विकास, उद्यमिता एवं रोजगारपरक दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया गया है, जिसमें कृषि विज्ञान, विधि, न्यायिक विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी, मत्स्य उत्पादन, जलीय कृषि तकनीकी, दुग्ध तकनीकी, रेशम कीट पालन एवं कीट विज्ञान, सूचना तकनीकी, नेटवर्क सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग, वेब तकनीकी, डाटा साइंस, इलेक्ट्रानिक्स, मशरूम उत्पादन, एम.ए.योग, एल. एल. एम., एम.टेक. जैसे अनेक पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जा चुके हैं।

विश्वविद्यालय द्वारा 56 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों से द्विपक्षीय समझौता (एम.ओ.यू) किया गया है जिनमें वन विभाग, मध्य प्रदेश शासन, सेरा लाइफ साइंस मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इन्दौर, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर, मााखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, विवेकानन्द वैश्विक विश्वविद्यालय, जयपुर, मध्यांचल व्यावसायिक विश्वविद्यालय, भोपाल, मानसरोवर वैश्विक विश्वविद्यालय, सीहोर आदि प्रमुख है।  एम.एस.सी. जैव प्रौद्योगिकी की छात्रा ने वर्मीकम्पोस्ट निर्माण की इकाई प्रारम्भ की है। वहीं बी.एससी, जैव प्रौद्योगिकी के विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय संसाधन का उपयोग करते हुए पुष्प एवं मशरूम (कवक) द्वारा कई सौन्दर्य उत्पाद, प्रोटीन पावडर एवं चाकलेट का निर्माण किया गया है। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 20 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं, 40 से अधिक स्टार्ट अप प्रारम्भ किए जा चुके है तथा 25 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं। कंप्यूटर विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र को होम सर्वे स्टार्ट अप के लिए 1 लाख रुपए प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा सीड मनी के रूप में प्रदान की गई है। अभी तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 12 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं, 35 से अधिक स्टार्टअप प्रारम्भ किए जा चुके है तथा 20 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं।

विदेशी भाषा विभाग में फ्रेंच, जर्मन भाषा के अध्यापन तथा क्षेत्रीय बोलियों में मालवी, निमाड़ी, भीली, गोंडी पर व्यापक शोध, संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास किये जा रहे हैं। मालवी बोली को पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है। रोजगार मेले का आयोजन, विद्यार्थी समस्या के निराकरण हेतु कुलपति के साथ संवाद, परीक्षा समस्या हेतु विशेष शिविर, विद्यार्थियों के लिए डिजिलॉकर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।  विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं द्वारा अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन निरन्तर किया जा रहा है। स्वास्थ्य  परीक्षण शिविर, नशामुक्ति अभियान, चाइना डोर के इस्तेमाल के विरुद्ध का जनजागरण अभियान, ऊर्जा संरक्षण, गांवों को गोद लेना जैसी गतिविधियां की गई।


वनमंडलाधिकारी उज्जैन एवं वृक्ष मित्र संस्थान के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में 8000 से अधिक पौधों का रोपण एवं सुरक्षा हेतु आवश्यक फेंसिग लगाने का कार्य किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा गाजर घास उन्मूलन सप्ताह का आयोजन 16-22 अगस्त 2022 तक किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से रोजगार एवं कौशल संवर्द्धन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास प्रारम्भ कर दिये गये हैं। विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं परिसर में सुनियोजित ढंग से वृक्षारोपण एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है इसमें जन सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। मियावाकी पद्धति से वनीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये जाएंगे। विश्वविद्यालय में शिक्षकों के नियमितीकरण और पदोन्नति की कार्यवाही की गई। शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति एवं शेष पदोन्नति के संबंध में प्रक्रिया निरन्तर है। तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को समयमान वेतनमान प्रदान करने की कार्यवाही की गई जो वर्षों से लंबित थी। विश्वविद्यालय में कार्यरत कुशल और अकुशल दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के विनियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण की गई, इसके माध्यम से अनेक कर्मचारी लाभान्वित हुए हैं। विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है।

स्वाधीनता पर्व उल्लास मनाने के साथ राष्ट्र और समाज के प्रति सम्पूर्ण निष्ठा और समर्पण का दिन है। भारत के अमर सेनानियों ने जिस स्वराज्य का सपना देखा है, वह सबके लिए, सभी प्रकार से प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने वाला स्वराज्य है। हमारे अमर वीरों ने समाज के हर स्तर पर स्वराज्य को साकार करने का सपना देखा था। हम सबके लिये राष्ट्र सबसे पहले होना चाहिए। आज का यह पर्व इसी भाव को जगाता है। हमें विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व है। स्वाधीनता तभी सार्थक है, जब वह हिन्दुस्तान के हर आदमी को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराए। इस स्वाधीनता दिवस की पुण्य बेला पर आइए हम भारत को उत्तरोत्तर उत्कर्ष पर ले जाने की शपथ लें। पूरी शक्ति के साथ देश, समाज और अपने विश्वविद्यालय को समर्थ करने में जुट जाएँ।


प्रारंभ में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ. प्रज्वल खरे, कार्यपरिषद सदस्य श्री संजय नाहर ने सम्राट विक्रमादित्य के मूर्तिशिल्प पर पुष्पांजलि एवं विक्रम तीर्थ सरोवर के जल से अभिषेक किया। अतिथियों की अगवानी विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. एस के मिश्रा, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा,  एन.सी.सी. के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ. कानिया मेड़ा आदि ने की। समारोह में विश्वविद्यालय के शिक्षक वृन्द, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, एन.सी.सी. कैडेट एवं रासेयो स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया।

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