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बेलपत्र को केवल तोड़े ही नहीं, अपितु उसके पौधे रोपित भी करें, वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार बेलपत्र में शिवलिंग से उत्पन्न होने वाली रेडिएशन को सोखने की क्षमता निहित - कुलपति प्रोफेसर पाण्डेय

सांस्कृतिक वन योजना के अंतर्गत सौ से अधिक बेल पत्र के पौधों का रोपण किया गया विक्रम विश्वविद्यालय में 

उज्जैन। श्रावण मास प्रारंभ होने के अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में चल रहे सांस्कृतिक वन निर्माण के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर में विक्रमेश्वर महादेव मंदिर के समीप शिव वाटिका में सौ से अधिक बेल पत्र के पौधों का रोपण किया गया।  मास प्रारंभ के अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय में चल रहे सांस्कृतिक वन निर्माण के अंतर्गत शिव वाटिका में सौ से अधिक बेल पत्र के पौधों का रोपण किया गया। 

पौधरोपण में माननीय सांसद उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र श्री अनिल फिरोजिया, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय, मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। गौरतलब है वन विभाग उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान से सांस्कृतिक वन का निर्माण हो रहा है। श्रावण मास के आगमन पर सांस्कृतिक वन की शिव वाटिका में अतिथियों से बेल पत्र का रोपण करवाते हुए डॉक्टर किरण बिसेन, वनमण्डलअधिकारी ने बताया कि भारतीय मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र के पेड़ की उत्पति माता पार्वती के पसीने से हुई है। इसलिए इसे माता पार्वती का प्रतिबिंब माना जाता है और इसी कारण यह शिव जी को अर्पित भी किया जाता है, किंतु यह चिंतनीय  विषय है कि भक्त इसे केवल तोड़ते हैं, इसका रोपण नही करते।

पौध रोपण करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि यह वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित मान्यता है कि शिवलिंग से विभिन्न प्रकार के रेडिएशन की उत्पति होती है और बेलपत्र इस रेडिएशन को सोखने का कार्य करता है। अतः इसका रोपण पर्यावरण के लिए लाभदायक है। इसलिए इसका अधिक से अधिक रोपण किया जाना चाहिए। 

डॉक्टर किरण बिसेन ने उपस्थित अतिथियों को महाकाल सांस्कृतिक वन में कराए जा रहे कार्यों से तथा मधुबनी कला से किए गए चित्रांकनादि की जानकारी प्रदान की। माननीय सांसद महोदय द्वारा महाकाल सांस्कृतिक वन में किए जा रहे कार्यों पर हर्ष व्यक्त किया गया तथा इस दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया गया। 

इस अवसर पर वन संरक्षक उज्जैन वृत्त श्री एम आर बघेल, आयुक्त नगर निगम उज्जैन श्री रोशन कुमार सिंह, विक्रम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गण, पर्यावरण शुभ संदेश समिति की सदस्य श्रीमती प्रीति गोयल एवं वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित थे।

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