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घोंसलों को उदासी सताने लगी, जब परिन्दों के बच्चों के पर आ गये - महावीर सिंह

■ मरकज़ है इल्म ओ फ़न का

■ घोंसलों को उदासी सताने लगी, जब परिन्दों के बच्चों के पर आ गये - महावीर सिंह

■ सिलसिला एवं तलाशे जौहर का प्रसिद्ध आयोजन "अफ़साना निगार शफ़ीक़ा फ़रहत की स्मृति में सम्पन्न"

🙏 *द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार* 🙏

भोपाल । मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में ज़िला अदब गोशा, भोपाल द्वारा सिलसिला एवं तलाशे जौहर का प्रसिद्ध आयोजन "अफ़साना निगार शफ़ीक़ा फ़रहत की स्मृति में 17 जुलाई, 2023, दुर्रानी हॉल, कमला पार्क, भोपाल में सम्पन्न हुआ।"

आयोजन के उद्देश्य के बारे में बताते हुए अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कहा कि, केवल शायरी की ओर युवाओं के निरंतर बढ़ते हुए रुझान को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि उनका ध्यान साहित्य की अन्य विधाओं की ओर भी दिलाया जाए। इसीलिए इस वर्ष के तलाशे जौहर एवं सिलसिला के आयोजन दिवंगत शायरों के अलावा गद्य लेखक, लेखिकाओं एवं फिक्शन निगारों की स्मृति में भी आयोजित किये जा रहे हैं। जिससे न केवल अन्य विधाओं में नए लिखने वाले आगे आएं बल्कि  अन्य विधाओं की साहित्यिक विभूतियों को जानें भी और उनके बारे में पढ़ें भी। भोपाल की जानी मानी अफ़साना निगार शफ़ीक़ा फ़रहत की याद में आयोजित उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य यही है।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए राज्य समन्वयक रिज़वान उद्दीन फ़ारूक़ी ने बताया कि तलाशे जौहर एवं सिलसिला के उक्त आयोजन में विशिष्ट आमंत्रित वक्ता एवं शायर के रूप में श्री हसन काज़मी (लखनऊ), क़ाज़ी मलिक नवेद (भोपाल), डॉ. सबा अज़ीम (भोपाल) उपस्थित हुए। डॉ सबा अज़ीम शफ़ीक़ा फ़रहत के साहित्यिक सफ़र पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने शफ़ीक़ा फ़रहत के कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि,  शफ़ीक़ा फ़रहत का ज़हन ज़रीफ़ाना था। उन्होंने हास्य व्यंग्य में खूब नाम कमाया। हास्य व्यंग्य में हर किसी का बस नहीं चलता लेकिन शफ़ीक़ा फ़रहत ने इसको चैलेंज के रूप में इख़्तियार किया और इस मैदान में बहुत कामयाबी के साथ अपने क़लम के जौहर दिखाये। 

सिलसिला में आमंत्रित स्थानीय वक्ता एवं शायरों में, सर्वश्री सरवत जैदी, परवेज़ अख्तर, परवीन सबा, एस एम सिराज, सरवर हबीब, शोएब अली खान, महावीर सिंह, उमेश मिश्रा, अज़ीम असर, शमीम हयात, प्रद्युम्न शर्मा, कमलेश नूर, मोहम्मद रईस, पारो परवीन खान, नीता सक्सेना, दीप्ति ग्वाली (भोपाल) उपस्थित हुए एवं अपना कलाम पेश किया। मुशायरे की अध्यक्षता भोपाल के वरिष्ठ शायर सरवत ज़ैदी ने की ।

कुछ चुनिंदा अशआर....

इल्म है सुरज हमारा और हम महताब हैं 
ख़ूबसूरत ज़िंदगी के ख़ूबसूरत ख़्वाब हैं 
- सरवत ज़ैदी

जब मेरा मरज़ उसकी समझ नहीं आया 
ख़ुद हो गया बीमार मसीहा मिरे आगे 
- हसन काज़मी

क़तरे क़तरे से मेरा रिश्ता था
फिर भी मुद्दतों का प्यासा था 
- क़ाज़ी मलिक नवेद

दुनिया मश्गूल है दौलत की हवस में जैसे
बच्चे बचपन में खिलोनों की ललक रखते हैं
- परवेज़ अख्तर

तुलूए सुब्ह भी उनको सलाम करती है 
जो इंतज़ारे सहर में चराग़ हो जायें
- सरवर हबीब 

ग़ैर को आँख उठा के देखा नहीं 
यार को सर झुका के देख लिया 
- एस एम सिराज 

"ये चर्चा है ज़माने में उसे गौहर कि ख़ाहिश है, 
'सदफ़' में डालकर आंसू 
उसे मोती बना दूं क्या?
- उमेश मिश्रा 

घोंसलों को उदासी सताने लगी 
जब परिन्दों के बच्चों के पर आ गये 
- महावीर सिंह 

जिनको अपना समझ रहा था मैं 
बस वही दोस्त फ़ालतू निकले 
- शोएब अली खान

हम क़दम तुम हो चमन में इसलिए
गुल शगुफ़्ता है कली शादाब है
- मोहम्मद रईस

इल्म तो बेकरां समंदर है
इल्म की कोई इंतिहा ही नहीं
- कमलेश वर्मा "नूर "

तेरी उम्मीद में तकती अभी भी माँ तेरी राहें 
तेरी ही याद में सजनी लगाती अब महावर है।
- नीता सक्सेना

तलाशे जौहर के अंतर्गत भोपाल के नए रचनाकारों ने फ़िल-बदीह (तात्कालिक) मुशायरे मे भाग लिया और अपनी प्रस्तुतियां दीं। इनमें से वरिष्ठ शायरों क़ाज़ी मलिक नवेद एवं हसन काज़मी के द्वारा 3 विजेताओं क्रमशः आमिर खान, प्रशस्त विशाल एवं औरंगजेब आज़म का चयन किया गया। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले तीनों विजेता रचनाकारों को उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि क्रमशः 3000/-, 2000/- और 1000/- एवं प्रमाण पत्र दिए गए ।

तीनों विजेता रचनाकारों के एक एक शेर निम्न हैं...

मुसाफ़िर है सफ़र है रास्ता है 
न हो मरना तो जीने का मज़ा क्या 
- आमिर खान 

तेरे बीमार का तो हाल ले ले
भला बीमार के आगे अना क्या
- प्रशस्त विशाल 

ग़ालिब तेरे मिसरे को जिया करता हूं हर दिन
होता है शबो रोज़ तमाशा मिरे आगे
- औरंगजेब आज़म 

सिलसिला काव्य गोष्ठी का संचालन श्री शोएब अली ख़ान के द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम के अंत में रिज़वान उद्दीन फ़ारूक़ी द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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