भोपाल । एनआईटीटीटीआर भोपाल में आज़ादी के अमृत महोत्सव एवं जी -20 व्याख्यान माला की श्रंखला में डॉ दुर्गादत्त ओझा सेवानिवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड भूजल विभाग राजस्थान का विषय "प्रदूषण की रोकथाम हेतु प्राचीन भारत की परम्पराओं का वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य" पर व्याख्यान आयोजित किया गया। डॉ ओझा ने अपने सम्बोधन में कहा कि, भारतीय जीवन शैली में आध्यात्म और विज्ञान का अनूठा समन्वय है अतः यहाँ अध्यात्म ही विज्ञान है। हमारे यहाँ पृथ्वी को माँ का दर्जा प्राप्त है। हमारी संस्कृति एवं विकास का आधार वेद है जो सतत एवं विज्ञान सम्मत हैं। सभी प्रकार के प्रदूषण निवारण का उल्लेख हमारे वेदों में दिया गया है। मातृभाषा जब तक विज्ञान की भाषा नहीं बनेगी तब तक अनुसन्धान असंभव है। भारत की सनातन संस्कृति का आधार वैज्ञानिकता ही रहा है।
निटर निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने श्री ओझा का सम्मान करते हए कहा कि हमारी सारी मान्यताएं एवं परम्पराएं प्राम्भ से ही विज्ञान पर आधारित रही हैं। जिन्हें हमने अपने माता-पिता से सीखा है एवं वर्तमान में हम इनसे दूर होते जा रहे हैं। इस व्याख्यान में निटर के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारीगण, प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे । कार्यक्रम के समन्वयक डॉ पराग दुबे थे।
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