कृषि के विद्यार्थी द्वारा ग्रहण की हुई शिक्षा तभी सार्थक है, जब यह शिक्षा देश की कृषि व्यवस्था में सुधार का कारक बने - कुलपति प्रोफेसर पांडेय
उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कृषि के विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए उन्हें सही एवं सटीक विधि से पौधारोपण कर भूमि की उर्वरता का अधिकतम उपयोग करने के गूढ़ मंत्र दिए।
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विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि अगर फलदार वृक्षों का पौधारोपण आर्किड विधि से किया जाए, अर्थात् अगर फलदार वृक्षों का पौधा रोपण करना हो तो फलदार वृक्षों को दूर-दूर रोपित कर बीच में कुछ और सब्जी अथवा और कोई उपयोगी पौधे लगाए जाए तो इससे भूमि की उर्वरता का पूर्णतः उपयोग किया जा सकेगा, जिससे कृषक भूमि का सर्वाधिक उपयोग भी कर सकेंगे। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माननीय कुलपति जी ने विद्यार्थियो से अपनी शिक्षा को कक्षा से बाहर निकालकर कृषकों तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कृषि के किसी विद्यार्थी की ग्रहण की हुई शिक्षा तभी सार्थक है, जब यह शिक्षा देश की कृषि व्यवस्था में सुधार का कारक बने, अर्थात् विद्यार्थी अपनी शिक्षा को लब से लैंड तक ला कर उसे सार्थकता प्रदान करे।
विद्यार्थियों से बात चीत करते हुए कुलपति जी ने यह भी कहा की विद्यार्थी अगर अपनी शिक्षा से ग्रहण किए छोटे-छोटे तथ्य को कृषकों तक पहुंचाएंगे तो फसल की पैदावर भी बेहतर होगी और इस क्षेत्र के कृषकों को भी फायदा होगा। इस अवसर पर कृषि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश टेलर एवं विभाग के समस्त शिक्षक गण एवं कर्मचारी गण ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए माननीय कुलपति जी का धन्यवाद किया।
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