उज्जैन। पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में विश्व पर्यावरण दिवस तीन चरणों में संपन्न हुआ। इस अवसर पर जवाहरलाल नेहरू प्रबंध संस्थान में वृक्षारोपण एवं आकर्षित करने वाली पर्यावरणीय खूबसूरत रंगोली की सरंचना भी गई थी। पर्यावरण को सुधारने के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक एवं प्रभावी है परंतु एक मात्र हल नहीं है, पर्यावरण प्रदूषित करने वाली तकनीकों एवं कारणों पर भी नियंत्रण करना होगा । उक्त उदगार वरिष्ठ समाजसेवी एवं पर्यावरणविद एस.एस नारंग द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर साहित्यिक संस्था "परिवर्तन" के तत्वावधान में पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय में व्यक्त किए। इस परिचर्चा में निदेशक डा.धर्मेंद्र मेहता ने प्रदूषण से बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करने के अलावा आधुनिक तकनीकों एवं वैकल्पिक तकनीको के उपयोग करने के बारे में जानकारी दी एवं जी- 20 के लक्षित उद्देश्यों को पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ उदाहरणों सहित रेखांकित किया। श्री राकेश खोती द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया गया। इस अवसर पर सामाजिक संस्था परिवर्तन के अध्यक्ष श्री एस.एस.नारंग, निदेशक डॉ. धर्मेंद्र मेहता, राकेश खोती, हिमांशु वैरागी, मानसी तिवारी, अनुभी भटनागर, अनुप्रिया जैन, प्रवेश गडोईया, अमन सोनी, स्टाफ नवीन शर्मा, दिनेश सिंघार, ओमप्रकाश यादव, सत्यनारायण जी भी उपस्थित थे। छात्राओं द्वारा प्रासंगिक खूबसूरत रांगोली रचना निर्माण में सक्रिय सहभागिता की, सभी के द्वारा सराहना की गई।
श्री एस.एस नारंग ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकारे भी इस विषय पर गंभीर है उनके द्वारा इस हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं l भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिए सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन के लिए अपार संभावनाएं मौजूद है ।
कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए विद्युत वाहनों के उपयोग को बढ़ाने हेतु केंद्र सरकार प्रयासरत है। सरकार द्वारा प्रोत्साहन स्वरूप विद्युत वाहनों की खरीद पर अनुदान भी दिया जा रहा है l उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का त्याग संभव है, हमें स्वयं केवल कुछ आदतें विकसित करना होगी।
उपस्थित विद्यार्थियों ने भी परिचर्चा के दौरान कहा कि हमें जल शक्ति का महत्व समझना होगा, बारिश के पानी का संग्रहण, जल संरक्षण एवं पानी का प्रबंधन आदि कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए । देश में प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाते हुए आर्थिक प्रगति होना चाहिए, देश में पर्यावरण और बढ़ते शहरीकरण के बीच संतुलन बिठाना बहुत आवश्यक है l जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या बन चुका है। उन्होंने कहा कि "भारतीय धरा हमारी मां है एवं पर्यावरण संरक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य है"।
इस अवसर पर पर्यावरण के संरक्षण हेतु मुख्य 14 कारणों एवं पुरानी तकनीक में परिवर्तन करने एवं अन्य अनेक उपायों की अपनी पुस्तक "पर्यावरण" पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता एवं छात्रों को भेंट की।
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